🥀❤️✍️ हमशे मशवरा,
भला कोई कया करे मोहब्बत का,
हम महोब्बतके सफ़र मैं वो मुसाफ़िर थे,
जो मंज़िल तक पोहचकर भी अधूरे रह गऐ..!
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कोई पूछे, कया चाहिऐ ? जवाब हज़ार हैं,
मगर, सच मैं कया चाहिऐ, वो आजभी मालूम नहीं,
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જરૂરી નથી,
મનને જે પસંદ આવે, તેજ મનપસંદ જ હોય,
ક્યારેક, સમયની જરૂરિયાત પણ એજ હોય છે..!
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किशीको जाना था, तो हमनें उन्हें रोका नहीं,
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क्योंकि हमारे हिस्से की मोहब्बत शायद,
उसे अब, कोई और कर रहा होगा..!
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अक्सर देखा है मैंने
महोंब्बत मैं इंशान को बेवकूफ बनते,
फिर भी खूद को तकदीर वाला समझता हैं,
खुद कितनी तकलीफ मैं क्यों न हो..!
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हो रहा हैं ईश्क, शायरी और ग़ज़लो शे ..!
सच मैं, इश्क़ का फितूर चढ़ रहा हों, जेसे...!
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दुनिया हमारी भी कभी बहोत खूबसूरत थी,
उन्हें मिलने शे पहले,
अब खूबसूरत ख्वाब बचे हैं, पास हमारे,
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मुझे ख़ुद शे मिलने की तमन्ना बहोत हैं,
मैं कहीं खोया हुआ हूं,
किशिको मिल जाऊ तो बताना मुझे,
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શું જરુરી છે, હવે એજ ખબર નથી મને,
એટલે જ બધું ખૂબ જરુરી લાગે છે મને,
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कुछ भी तो नहीं रहा पास मेरे,
फिर वक्त कहाशे होगा, मेरे लिऐ पास उनके,-