दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ईश्वर आप और आपके परिवार पर कृपा बनाये रखें एवं सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य प्रदान करें ।
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स्याही का आकार हूं ।
शब्द साधना में लीन ,
मैं योगी शब्दकार हूं ।।
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तेरी आँखो में देख लिया है,
वो एक फलसफा मैने ।
अब इन किताबी कहानियों में,
और भला रखा क्या है ।।-
उसकी राहें, उसकी बातें
उसका किस्सा छोड़ दिया।
जा जिंदगी तुझमें मैंने
खुद का हिस्सा छोड़ दिया।।-
ऊंची इमारतों में,
बैठकर इठलाया करती है ।
कभी जमीं पर,
खेल कर मुस्कुराती जिंदगी ।।-
मध्य तुम्हारे मेरे अब,
सुख ना कोई चैन प्रिये ।
तुम आसक्त कोहली पर,
मै ठहरा धोनी फैन प्रिये ।।-
ये चाय, हवा और ढलता सूरज ,
कुछ शीतल कुछ जलता सूरज ।
ओझल होने को आंख मूंद कर ,
कुछ मंद-मंद सा चलता सूरज ।।-
हंस लीजिए हाल-ए-दिल पर आप ,
आखिर खड़े जो है साहिल पर आप ।
आज रास्तों पर छोड़ रहें हैं यूं हमको ,
फिर कल पछताएंगे मंजिल पर आप ।।-
छांव आगे बढ़ चली है दरख़्त से ,
शायद कोई गिरा है आज तख्त से ।
वो जो कहता था सिकन्दर खुद को ,
देखो हार कर बैठा हुआ है वक्त से ।
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और फिर किसी रोज ,
यूं ही किसी उदास सी शाम को तुम मुझे याद करोगे ये सोचते हुए कि कुछ भी हो वो सबसे अलग तो था ।
तब तुम वापस लौटना चाहोगे मेरे पास और जब तुम ऐसा करने की कोशिश करोगे तब तुम पाओगे कि वापसी का रास्ता नहीं है अब ।
उस दिन तुम पछताओगे अपने किए पर और नहीं पाओगे इन आंखों में प्रेम अपने लिए । अब आजाद जो हो चुका हूं मै तुम्हारी आंखो मे लगे काजल के बंधन से ।।-
ये मुलाकातें कुछ मुख्तसर सी ,
फिर याद आया करेंगी ।
हमारी झलकियां तुम्हारे ज़ेहन में ,
हमारे बाद आया करेंगी।-