Bhaskar Patidar   (©'भास्कर' पाटीदार✍️)
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Joined 9 August 2019


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11 FEB AT 21:29

कभी तो मिले फुर्सत ख़ुद से मिलने की
इस इश्क़ में कभी इतवार क्यो नहीं आता!

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6 FEB AT 23:41

कसूरवार तुम नहीं हमारी बेरुखी के....,
ये हम ही थे जो तुमसे उम्मीदें लगाए बैठे

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5 FEB AT 13:38

भरा ही नहीं बाहों का आलिंगन हमारे जैसा
होता ही नहीं कभी तुम्हारा मन हमारे जैसा
हरदम रहते तैयार हम तुम पर मर मिटने को
तुममें चाहने का नहीं पागलपन हमारे जैसा

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29 JAN AT 16:46

एक तरह से दुआ भी है और ये बदुआ भी,
किसी की पहली मोहब्बत मुकम्मल ना हो!

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25 JAN AT 23:38

ये सर्द रातें और पूनम का चमकता चाँद
मुझे और भी कर देता है तन्हा तुम्हारे बगैर।

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21 JAN AT 20:20

बस्ती-बस्ती गाँव नगर हो रहा भजन-कीर्तन श्रीराम का
सौम्यता की स्वर्णिम आभा से चमक रहा तन श्रीराम का
कितनी पीढ़ियों हो गई न्यौछावर करने को स्वप्न साकार,
हम कितने सौभाग्यशाली देख रहे है आगमन श्रीराम का

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20 JAN AT 20:49

हर युग मे आएंगे राम
हर युग मे छाएंगे राम
है गर शबरी-सा धैर्य,
झूठे फल खाएंगे राम !

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17 JAN AT 9:52

हम भी अव्वल आ जाते पढ़ कर किताबे पर,
इश्क़ के इम्तिहान का सिलेबस नही होता !

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13 JAN AT 21:10

रखकर हाथ दिया घाव अंगारे जैसा
तुम नदी और हमारा हाल किनारे जैसा
कैसे जान पाओगे तुम दुःख हमारा
किया ही नही तुमने प्यार हमारे जैसा

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1 JAN AT 16:37

बदलते साल में प्रिये थोड़ा तुम बदलना
चमकती धूप में हम पर शाम-सा ढ़लना
करना हमसे प्रेम जैसे हम तुमसे करते है
हार-जीत में साथी हरदम साथ चलना।

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