प्रिय!लिखकर... नीचे लिख दूं नाम तुम्हारा,
कुछ जगह बीच में छोड़
नीचे लिख दूं सदा तुम्हारा!!
लिखा बीच में क्या? ये तुमको पढ़ना है!
कागज़ पर मन की भाषा का अर्थ समझना है!
जो भी अर्थ निकालेगी तुम,.वो मुझको स्वीकार
झुके नैन... मौन अधर... या कोरा कागज़,
अर्थ सभी का प्यार!!💕-
इश्क़ एक ही जात में हो, ज़रूरी है क्या
वो राज़ी हर एक बात में हो, ज़रूरी है क्या
और हम दिल दे बैठे जिस मौसम में
वो मौसम पतझड़ का था
अरे! मोहब्बत बस बरसात में हो ज़रूरी है क्या!!-
कीजिए इज़हार-ए-मोहब्बत चाहे जो अंजाम हो
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी जैसा कोई तो काम हो-
प्रेम, प्रकृति,और शिव से सुंदर कुछ भी नहीं ,
मातृभाषा हिन्दी से बढ़कर और कुछ भी नहीं !
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हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में...-
भयभीत
बाहर की आंधी से क्यूँ डरूँ
जब अन्दर मेरे तूफ़ान है
क्या ज़िंदगी का मकसद नहीं
खुद से ही खुद की पहचान है?
हिम्मत और ज़ज्बे के बिना
यह जीवन मरण समान है
मन्दिर मस्जिद में क्यूँ भटकूँ
जब भीतर ही अल्लाह राम हैं।-
किसी किनारे पर तुम बस यूं ही खड़े मिलना
मैं दरिया में कूदा तो हूं मगर तैरना नहीं जानता-
भावुक हूँ, आनंदित हूँ ,
मर्यादित हूँ, शरणागत हूँ ,
संतुष्ट हूँ, निःशब्द हूँ ,
मैं बस राममय हूँ !
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सरयू का किनारा है, निर्मल जल धारा है
प्रभु राम की अयोध्या का भव्य नज़ारा है!-