તારી યાદો સમક્ષ વસંત પણ હવે તો પાનખર બની ખરી રહી છે !!
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Pratilipi: bhargavi vasava
चलते चलते निकले थे अलग अलग रस्तो पे
फिर भी ना जाने क्यों मिलना एक ही मुकाम पे हुआ।।
बिखरकर निकले थे घर से दूर,
फिर भी जैसे संभालना एक मुकाम पे हुआ।।
मुस्कुराहटों को जहां से छोड़ के निकले थे,
वही बैठके घंटो घंटो तक पागलो की तरह हसाना भी हुआ।
किस्मत के इक्के तो नहीं थे,
फिर भी फूटी किस्मत के बादशाह बनना साथ हुआ।।।
आज फिर से अलग अलग जा रहे है, एक आश के साथ,
कहीं ना कहीं तो मिलना होगा फिर से यही अपनेपन के साथ।
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Trust on lows of universe,
It will surely lead to better destination.-
Knock Knock!!
Failure knocked on his door again,
He opened and welcomed it with a smile.
Maybe his perceptions have changed.
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Knock Knock!!
Failure knocked on her door again,
she opened and welcomed it with a smile.
Maybe her perceptions have changed.-
शिद्दत होना कोई छोटी बात नहीं है जनाब,
हर किसिके बस की बात नहीं होती अपना ईमान संभालकर रखना।-
रूह से ईश्क करने निकला था कोई।
उसे कहा पता था,
आशिकी के नामपे जिस्म नीलाम हो रहे थे यहा।-
फुर्सत से थोड़ी फुर्सत लेकर आना,
कई जज्बातोंको इश्क़ के अदालत में पेश करना है।।-