bhargavi .   (Bhargavi _feelings.dilse)
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Joined 23 September 2019


Joined 23 September 2019
10 SEP 2021 AT 20:22

इतना मुश्किल भी न था
तुमसे दूर रहना,
तेरी अनकही नफरत ने ही, मेरी
रूह को जोड़ रखा है ।

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6 APR 2021 AT 18:49

चाय नहीं मिली तो,
कुछ और जाम मिल जाए,
जो दिल के बहलाने के काम आ जाए ।
चाय भी तो मेरे अकेलेपन का साथी है,
मेरे साथ चलने वाला राही है,
थोड़ा वक्त बिताता है ये हर रोज़ मेरे साथ,
उस पल थामे रहता है, न छोड़ता है मेरा हाथ,
चाय के बिना है जीवन मेरा कोरा,
क्योंकि चाय के साथ हर रोज़ मैं खुद से मिलती हूँ थोड़ा-थोड़ा ।

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23 MAR 2021 AT 22:14

उसे लगा टूटी उम्मीदें सारी.....
और सूखे दरख्तों से जीवन शक्ति मुस्कुराई ।

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18 JUL 2020 AT 0:46

कविता मन के भाव ही तो है
जो शब्दों का चोला पहन सामने आ जाते है
ये भाव हम किसी न किसी रूप में जी चुके है
चाहे वे भूत की यादें हो
या भविष्य के सपने
वर्तमान का पल हो या
ख्वाबों में बुना कोई कल

ये कविताएँ ही तो हमें
तसल्ली देते हैं
जिन्हें हम किसी से कह नही पाते
ये शब्द ही तो उन भावनाओं को सुन जाते हैं
इनमें पिरोए भाव ही तो
अपना खेल, खेल जाते हैं
दिलों में छिपी सारी हसरतों को
कलम के जरिए कागजों पर उड़ेल जाते हैं



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18 JUL 2020 AT 0:33

क्यों है ये अंकों का खेला?
किसी को 100 तो कोई पंखे पर झूला...
हर बच्चे के अंदर है हुनरों का मेला,
जिसके बल वह ज़िन्दगी में बढ़ा,फला-फूला
फिर क्यों ये जंजाल है फैला?
आखिर कबतक रहेगा ये अंकों का खेला?

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13 APR 2020 AT 1:38

रात से गले मिलकर
जब हम खूब रोए थे,
उस दिन चाँद में भी थे जज़्बात
तभी बादलों की ओट में वह भी खोए थे।
तारें भी खामोश थे,
था सबकुछ सूना, तन्हा-तन्हा,
रात की इस चुप्पी में
मेरा दुख भी था सहमा -सहमा।
इस विरह को जाना हर एक कीट पतंगें ने
फैली ये रात की रानी की खुशबू की तरह हवाओं में
सुन रहे है रुदन ये दरख़्त सीधे खड़े
जिसे छिपाया हर एक इंसां से
आज ये प्रकृति तत्व है मेरे दोस्त बने।

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23 MAR 2020 AT 0:34

मोहब्बत बर्बादी की एक अदा है
जिसपर सारा ज़माना फिदा है
दो प्यार करने वाले के लिए यह एक सज़ा है
क्योंकि कभी इसमें मिलन है,
तो कभी वे जुदा है।

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23 MAR 2020 AT 0:30

गुमशुदा है कौन मुझमें
तलाशती हूँ
कुछ इस कदर मिला है मुझमें वह कि
मिल भी न पाता है
लेकिन फिर ख्याल आता है कि
उसे गुमशुदा ही रहने दो
अगर फिर दोस्ती कर ली तो
कहीं प्यार कम न हो जाए
इसे अजनबी ही रहने दो अब
क्या पता यह अनजाना रिश्ता ही हमें और करीब ले आए
और हमारा प्यार और परवान चढ़ता जाए।


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23 MAR 2020 AT 0:24

मन की इच्छाओं को मारूँ या उसे बहने दूँ
बहकर उसे बढ़ने दूँ या उसका दमन करूँ
क्यों यह दमन जरूरी है?

क्या यह इच्छाएँ आगे बढ़ने का हौंसला नहीं देती
कुछ पाने के लिए जागरूक नहीं करती
फिर क्यों बुरी है ये इच्छाएँ
जो इंसान को अपने लक्ष्य तक पहुँचने का हिम्मत देती है

आखिर क्यों...?

क्योंकि यही इंसानों में लालच को जन्म देती हैं
स्वयं को पूर्ण करवाने हेतु यह
हर कुकर्म को सही ठहराती है
लोग हौंसला तो पाते हैं
आगे भी बढ़ना चाहते हैं
पर यही इच्छाएँ उन्हें पथ से भी भटकने को मज़बूर कर देती है

इसलिए
मन में इच्छाओं का वास हो यह जरूरी है
परंतु जितने से हम हौंसला पा सके
उनका सही तरीके से पूरा लुफ़्त उठा सके
जो लक्ष्य तक पहुँचने में अपनी भूमिका निभा सके
बस हृदय में उनका उतना ही निवास हो।

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25 DEC 2019 AT 11:01

सर्दी की ठंड में
दिवाकर तेरी तपिश
न जाने कितनों को राहत देती है
तेरे छूने से खिल उठता है रोम रोम
रूह होती है मोम मोम
क्या ऐसी ही चाहत होती है?

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