Bharat Singh Gariya   (©Rahi)
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Amature writer , poet and philosopher , find my poetry work in my YouTube channel
Joined 21 August 2017


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25 NOV 2019 AT 2:29

सुनो ना बहुत देर हो गई है ,
इस कदर साताया नहीं करते ,
ज़िंदगी का एक हिस्सा पहले ही खो कर बेठे हे ,
चलो अब और वक़्त जाया नहीं करते ,

कहो मुझे बेसब्र या फिर कुछ और
क्या फ़रक पडता हे ,
मेरी किसी बात का तुम्हें
क्या कोई असर पड़ता हे ?

अचछा बाबा ठीक हे ,
जब जब तुम रूठोगे तो मे मनाऊँगा तुम्हें ,
कोशिश करूँगा की ना सताऊँ तुम्हें ,
अपनी ज़िंदगी का छोटा बड़ा मसला बताऊ तुम्हें ,
अपनी बेवक़ूफ़ियों से हसाऊँ तुम्हें,
तुम कितनी ख़ूबसूरत हो हर बार जताऊँ तुम्हें ,

ठीक हे ?????

सुनो ना बहुत देर हो गई है ,
इस कदर साताया नहीं करते ,
ज़िंदगी का एक हिस्सा पहले ही खो कर बेठे हे ,
चलो अब और वक़्त जाया नहीं करते ।

——————————(राही)————————-

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24 NOV 2019 AT 23:38

तुम साथ नहीं चलो कोई बात नहीं ,
तुम किसी और के , बात मुश्किल पर चलो मान ली हमने ,
माना मसले बहुत हे मेरी भी ज़िंदगी मे , मे सम्भाल लूँगा ,
पर तुम्हारी आँखो की नमी ? बात ये हरगिज़ बर्दाश्त नहीं .

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18 MAY 2019 AT 8:35

हम लम्हो से ज्यादा लफ्जो में वक़्त बिताते है ,
कभी टूट के बिखर जाते है और कभी उन बिखरे हुए हिस्सो को फिर से उठते है ,
फासलों को रहने दो अपनी जगह पास हो तुम आज बस इतना काफी है,
मुझे नहीं परवाह किसी की खुशियां मुझसे ज्यादा है तो,
इत्मीनान है इस बात का की मेरे हिस्से में तू आती है ,
देने के लिए ऐसा कुछ ख़ास तो नहीं मेरे पास ,
पर भरोसा दिलाता हूं चाहता रहुंगा तज्महे इसी तरह , जब तक सीने में दिल धड़केगा और मेरी आंखरी सांस आती है .

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11 MAY 2019 AT 0:00


देखने तेरा रास्ता हर बार गई,
और देखे सपने हज़ार कई ,
पर ख्यालो को हकीकत हमेशा मार गई.....


जिंदगी की कश्मकश में 'आँखे.... हार गई' ।


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7 MAY 2019 AT 22:16

कभी मेरे ख्वाबो से बाहर हकीक़त बनकर ,
अगर हमसफ़र तुम हो तो मंजिल की परवाह नहीं मुझे
में काट सकता हूँ जिंदगी रास्तो में सिर्फ साथ तुम्हारे चलकर ।

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7 MAY 2019 AT 15:46

The most Difficult thing to forget !

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11 APR 2019 AT 20:07


पर देखो तो न तुम मिले न तुमसे मिलने की मोहल्लत,
अब बस काश , खुद से शिकायत और तुमसे मोहब्बत ही बचे है मिरे पास ।

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5 DEC 2018 AT 18:21

हो सकता है तुम्हारे लिए ये कुछ शब्द हो ,
पर मेरे लिए ये जिंदगी का तजुर्बा है ,
(राही)

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22 JUN 2018 AT 23:13

कुछ यादे , कुछ सामान
कुछ जरूरते और कुछ अरमान ,
हर बार भारी हो जाता है हल्का सा दिखने वाला मेरा ये बैग ।
#राही

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21 JUN 2018 AT 15:33

वेसे तो थोड़ी पढ़ी लिखी है ,
पर जब भी मांगी है रोटी 2 तो 3 ही मिली है ।
'माँ'

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