I Just Want To Get A Place Like Home,
Where I Can Be All Alone,
So That I Can Find Out The Real Reason To Why I Cry,
And Also The Answer To Who Am I..!!-
An Excerpt from a yet to be published novel.
"Don't think so much about me, We can't take this relationship further. Forget me", Nitya said crying inside.
"I know this is not easy for you too. But just for your sake, I am ready to stop thinking about you. Just answer me one thing", Sammy said literally crying.
"What?", She asked.
"I can stop thinking about you, but how could I tell my soul to stop doing what it is best at, despite knowing it loves you more than I do", he said in a low but romantic tone.
She hugged him tight and kissed him first on his lips and then on the forehead and whispered in his left ear, "You have to sweetheart..Good Bye."
And there she ran away wiping her tears with right hand.-
Ye Wohi Toh
Jo Chahta Hai
Baahon Me Lena Tumhe
Mehboob Ki Tarah-
गर सुनती है मेरी टूटती सांसों को
तो दूर क्यूँ है अब तलक
इनके हर लफ्ज़ पे नाम तेरा ही लिखा है-
मीठी मीठी बारिश से गर दिन की शुरुआत हो
बूंदें बने शीशे जैसी देख उनमें ख़ुद से मुलाकात हो
रूह से हो पहचान तुम्हारी आँखों से परदा हटे
सच्चाई से रूबरू हो न डरे तो क्या तुम्हारी औकात हो-
आज ये हसीं रात ना जाने क्या चाहती है
पलकें मिलाऊँ जब भी अपनी तेरी ही याद दिलाती है
इन यादों की बातों में मानो कोई जादू टोना है
जो तुझसे दूर होने पर भी तेरे पास होने का अहसास कराती है-
हस्ते हस्ते तुम अपना दिन करो व्यतीत
हार भी हसकर जाएगी पास आएगी जीत-
दिल ने मेरे जब दिल से तेरे किया इज़हार
ना तूने इंकार किया ना तूने किया इकरार
दिल को मेरे दिल ने तेरे यूं जो कराया इंतज़ार
अब देर ना कर दिल मेरा यहां हो रहा बेकरार-
फटे कपड़े छोटा मकान
जो रहले इसमें वो इंसान
न हिरे न मोती न जेवरात
दो वक्त की रोटी है उसका अभिमान
न महल की चाह न किसी पद की नुमाइश
जहां दो पल सुकून मिले वो उसके लिए आलीशान
ख़ुद के मूहं में एक निवाला नहीं
फिर भी पाल रहा पूरा खानदान
ये वो प्रेरणास्रोत हैं 'भारत'
जिन्हें कोई कभी न कहेगा महान
------©भारत शर्मा वत्स©-------
आंखें बंद हैं सोया नहीं
ज़मीर ज़िंदा है खोया नहीं
ना मिले गर वाहवाही तु्झे महफिल में
ना सोच की तेरा शेर मुकम्मल हुआ नहीं
दूसरों के लेखन पे टिप्पणी करते हैं
ख़ुद की कलम ने कभी किसी को छुआ नहीं
ना मांगी हो तूने गर खुशी किसी के लिए
वो दुआ भी साहब दुआ नहीं
गर खेल ज़िन्दगी का ये समझ जाएं 'भारत'
तो इससे बड़ा जहां में कोई जुआ नहीं
------©भारत शर्मा वत्स©-------