सारी चीज़ों में आपको व्यावहारिकता को ही अपनाना पड़ता है, आदर्शतम स्थिति केवल एक पैमाना बस है।
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ख़ुद को कुछ यूं , ख़ुद में ढूंढ़ने की कोशिश करता... read more
तर्क कितना ही विचारशील क्यों न हो,
कई बार वो लोगों को झूठ ही लगता है ।-
कई म्यूजिक में केवल हम बस नहीं होते; लोगों की पूरी एक दुनिया होती है।
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कल मेरी बातों में सब उसके लिए एक तमाशा सा था
सच कहूं यारों मैं उसके साथ एक बहाना सा बस था
आज हम हर तजुर्बे को भूलकर भी आशिक़ी अचानक कर बैठे।
हमें नहीं पता उसके घर के दहलीज़ में खटखटाना बहुत था।
उससे बेवक्त बेबसी में यूं हर आस ही आज बाकी है
मैंने जोर देकर कहते हुए आंखों से मुस्कान दबाए बहोत है।
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सफ़र में हरदम दूर जाने की जो यूं बेवजह इब्तिदा होती है;
वरना भीड़ में शामिल हर शख्स यूं करीब से बे-इन्तेहा फना होता।-
आज अपना गांव ढूंढने निकला था; सुकून ढूंढ लाया।
गांव के चौखट में शहीदों की कुर्बानी का इतिहास पढ़ आया।
दो कदम ही चलकर सारा आसमान तैर आया।
हर गली कूचों से गुजरकर अपनापन देख आया।
हर चहकते बचपन के चेहरे से मुस्कान थाम आया।
रिश्तों के उत्सव से सराबोर त्योहारों की सारी चमक देख आया।
किसानों की लहलहाती फसलों में पसीने की बूंदे देख आया।
स्कूल के आंगन में मचलते हुए नए अरमानों की पतंग देख आया।
सांझ ढलते ही घर लौटते मवेशियों की घंटी की झनकार सुन आया।
माता की जयकार से गूंजती गलियों से सराबोर गांव देख आया।
आज सच कह रहा हूं; वाकई सुकून ढूंढ लाया।
मैं गांव ढूंढने निकला था; सुकून ढूंढ लाया।-
आज शिकायत नहीं है; ना तुमसे कोई नाराजगी सी है
आज हर उस वक्त पर बैठे हुए; कहानी की बारिश सी है
वो कल ही की बात कुछ और थी; इस वक्त "कुछ वक्त" अनजानी सी है
आज बस कह रहा हूं ये कि; अब कुछ कहने को बाकी ही नहीं है
समझ लेना तुम आज भी कल ही की तरह; आज मेरे कलम में उतनी स्याही भी नहीं है।
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मैं शायद दिखा न पाऊं अब तुझे उस खूबसूरती से चाहना।
बस खुद अपने "विश्वास" से पूछ लेना कैसे चाह सकता हूं मैं।-
हार गया है वो मंजर आज, जो कल सर उठाए खड़ा था
प्यार की कश्ती में उड़ सके वो परिंदा आज कहां रुका था।
डूबने को तो डूब गया पर तैरने के लिए आज कहां बचा था।
बेबस और असहाय बनकर उसे पाने के लिए अड़ा था।
कर गुज़ारिश फिर से खुदा को आज अपने को ही दफन करने चला था।
हार गया है वो मंज़र आज, जो कल सर उठाए खड़ा था।
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आज सुकूं की तलाश में भटकता सा इक परिंदा हूं
गौर करो तो "जिंदा" वरना 'खाली से भरा' शर्मिंदा हूं।-