" मेरे मालिक छोटी सी जिन्दगी में इतनी सी है इच्छा मेरी ...,
कि मरते दम तक सदा ही बेदाग रहे ये दामन मेरा....!! "-
" देखा है मैने आज ख्वाब में तुझे....,
इश्क फिर से पुकार रहा है शायद ....!
न हारा इश्क़ और न दुनिया थकी...,
दिया जल रहा है हवा चल रही है...!
इज़हार पे भारी है ख़मोशी का तकल्लुम...,
हर्फ़ों की ज़बाँ और आँखों की ज़बाँ और...!
मौत हो जाए ताल्लुक़ की तो मिट्टी डालो...,
यहॉं देर तक घर में जनाज़ा नहीं रखा करते....!! "-
" ए जिन्दगी ,
अजीब है तेरा सबब..!
जब ये मायूस होती हे ,
तभी महसुस होती है..!
इसलिए ही ,
तो मैं.....,
न खुश ना उदास
बस खाली और खामोश हूँ......!! "
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" खामोश है कलम....,
शब्द भी खामोश हैं....,
लबों पे ख़ामोशी...
बसर गुमनामी में...,
अब बता ज़िन्दगी...,
और क्या है....?
मुकम्मल तरीका...,
तुझे जीने का.........!! "
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" चार दिन की...,
जिन्दगी में....!
कभी खुशी,कभी गम..,
कभी हार,कभी जीत..!
वक्त गुजरा...,
उम्र गुजरती गई..!
अब ' मनुज ' निराशा कैसी..? "
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" मेरे हमसफर अब चरागों को..,
कुछ तो बतलाओ...!
कैसे उन्हें बुझा डाला तुम्हीं ने...,
घर जलाने के बाद...!!
ना जाने क्यों मिले तुम..,
अगर युं ही बिछड़ना था...!
आखिर ये जिंदगी ...,
वेसे भी ग़मों की ही अमानत थी...!! "-
" मुस्कुरा कर जीत ले जो दर्द अपना...!
फिर ज़माने के दर्द उसे क्या खाक सताएगें....?? "
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" खुद की कोशिश ए जुनुन पर एतबार...,
और किरदार ए ईमानदार रखना जरूरी है...!
वरना कुछ नया करने के लिए...,
सारी उम्र ही दाँव पर लग जाती हैं...!! "-