चलो किसी बहाने रावण ही बन गए,
अहंकार में डूबे, फरेब के दीवाने बन गए।
ना भाई ने छोड़ा, ना किस्मत ने तोड़ा,
रावण ने खुद ही अपने आप को छोड़ा।
धर्म से जो डिगे, उनका हश्र यही होता,
लक्ष्मण रेखा लांघने वाला अंत में रोता।
ज्ञान या अभिमान से क्या होगा, जब नीयत ही हो काली,
राम का बाण गिरते ही घमंड की झोंपड़ी खाली।
तो रावण बनना शौक है तो ठीक है,
पर अंत में लंका जलती है — यही सीख है।-
Bharat Bhushan
(खयाल- ए - बेपर्दा)
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Joined 28 September 2017
7 AUG AT 8:51
30 AUG 2024 AT 8:15
बुढ़ापा खरीदते खरीदते
जवानी ना बेच देना यारो,
की वक्त का गणित थोड़ा खराब है...-
11 MAR 2024 AT 16:02
बहा दिया था इन ख्वाइसों को लहरों तले,
बरस के बादलों ने फिर नए अरमान जगा दिए ...-
10 MAR 2024 AT 11:09
किस्सों की श्याई लिए चलता रहा ये सफर,
आलम कुछ यूं बना की,
"हम कोरे रह गए यादों के पन्ने भरते भरते..."
-
16 FEB 2023 AT 8:09
Once a handsome fcukboy said,
"Beauty attracts attention, while
Character captures the heart."-
18 DEC 2022 AT 20:22
कुछ घुट तन्हाई के मिला दे साकी,
ये भीड़ कुछ अपनी सी लगने लगी है।-