Hamne luta diya jispar
apna sara aashman
badi der me hame maalum huaa
wo samandar ka soukheen tha-
के उतरा चहरा,
बंधी जुल्फें,
मायूसी भरी मुस्कान,
इन अल्फाजों को कभी हमने
उनसे जोड़ने की सोची ही नहीं
आज उसे देखा तो घबरा गया ये दिल
लगा कुछ तो खो गया है
उसकी खूबसूरती समेटती आंखो से-
ख्याल नहीं बदले
बस थोड़ा मन सा
हट गया है तुमसे
वर्ना तुम मेरे लिए
तब भी अच्छे थे
आज भी अच्छे हो-
बेशक मंजूरी है तुमको
अपने दिल की करने की
लेकिन
मेरे दिल की भी जाना
तुम थोड़ी बातें सुना करो-
हम उनके बहकावे में
ज्यादा देर नही रहते
एक दफा को आ जाते है
लेकिन फेर नही रहते-
कतरा रहे है पैर
मेरे घर जाने के रास्ते से
सुना है मेरे घर पर
आज वो आने वाली है-
जरा सा बिखरा देखा
तो समेटने लगे हम खुदको
हमने कभी नहीं चाहा
तुम्हे हमारे दर्द का
जरा भी अंदाज़ा हो-
Sochi hamne Kai dfaa
gazal tumahari julphon par
khyaalon me hi likha hamne
Or fir usko Mita diya
-
अंधेरे में भी देखकर
पहचान लिया उसको
परछाई देखकर खुदसे बोला
वो महबूब मेरा है-
हमें नहीं मालूम
उसकी हाथों की लकीरों में हम थे या नहीं
मगर वो जब भी मिलता था
मेरे हाथों में अपना नाम लिखा करता था-