Do you know what is saying ,this word vacation,
Live,love and care yourself, without any tension.
Happy Vacation-
#A book lover by heart,fond of music,gardening .
#A keen lo... read more
मेरी फ़िक्र ,ज़िक्र और फ़क्र जो माँ किया करती ।
अनगिनत दुःखो में भी खुद को भूल बच्चों में जिया करती ।।
आवाज से जो बच्चों के हाल ए दिल जान लेती।
देख कर दुःखी जो सजल नयनों से गले लगा लेती ।।
मेरी हर खुशी को अपनी हंसी से देती बढ़ा।
मेरे हर दर्द की दवा वो सहज देती बता।।
मेरी नादानियाँ सहकर भी उफ्फ नहीं करती कभी।
बाद उसके मिला नही कोई जिससे कर लूं बातें सभी।
You were ,you are and will be forever in my heart my lovely mother.-
मेरी फ़िक्र ,ज़िक्र और फ़क्र जो माँ किया करती ।
अनगिनत दुःखो में भी खुद को भूल बच्चों में जिया करती ।।
आवाज से जो बच्चों के हाल ए दिल जान लेती।
देख कर दुःखी जो सजल नयनों से गले लगा लेती ।।
मेरी हर खुशी को अपनी हंसी से देती बढ़ा।
मेरे हर दर्द की दवा वो सहज देती बता।।
मेरी नादानियाँ सहकर भी उफ्फ नहीं करती कभी।
बाद उसके मिला नही कोई जिससे कर लूं बातें सभी।
You were ,you are and will be forever in my heart my lovely mother.-
नव-पुष्प खिले,नव पात मिले,
खेतों में फसलों संग सौंधी बयार चले,
नव -जीवन का हो रहा है संचार,
नव वर्ष लाए नूतन हर्ष मिटे सब विकार।
विक्रम संवत 2082 और चैत्र नवरात्र री मोकळी बधाईयां।
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मेरी
जिंदगी का
बेहद उम्दा रंग
हो तुम और तुम्हें
मैं श्वेत रंग कहूंगी क्योंकि
ये जिसमें मिलता है, हो जाता है
उसी के जैसा , अपने अस्तित्व को
भूलकर दूसरों की फ़िक्र में लगे रहना
सचमुच बेहद मिलती हो तुम इस रंग में
और खिलते देखा है मैंने तुम्हें जिंदगी के हर रंग में
सारे रंगों से मिलाकर मुझे तुम बन गयी श्वेत फिर से,
अब घर के हर शख्स में मिलाकर देखती हूं तुमकोजीभरके
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Lots of hope I had when you started
You are a name of big sorrow less glee,
I cannot get back that is departed,
'A big lost ' I gave this name to thee.
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ये त्योहारो की रौनक क्यों ,फ़ीकी सी है इस बार।
कंब आते कब जाते है, पता नही चलता अबकी बार।।
मेहंदी ,श्रृंगार , सारे शगुन से मनाने की फ़िक्र
उल्लासित हो, नही करता कोई अब ज़िक्र।।
जिंदगी की रफ़्तार के संग, सब दौड़ रहे है।
पर आंसू कोरों का साथ ,नही छोड़ रहे है।।
नेह -आंगन सूना, वीरान ये दुनियां लगती है।
खुशियों का पर्याय थी, तुम से देहरी सजती है।।
जितना चाहूँ ना सोचूं,पर याद कहाँ रुकती है।
हर त्योहार है तुमसे ,उनमें याद तुम्हारी बसती है।।
तुम संग मानो अंतर्ध्यान हो चली उमंगे सब।
औपचारिकताएं ही बाकी रह गयी अब।।
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सुनों नारी,
शैलपुत्री से सिद्धिदात्री के सफ़र में,
काली को मत जाना भूल।
उखाड़ फेंकना भी जरूरी है
जब चुभने लगे कोई शूल।।
शुभ नवरात्रि
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