दु:ख जीने नहीं जाते,
याद किए जाते।-
रुलाने वाले को आंसू चाहिए,
आंसू पर उसे कोई तड़प नहीं होगी,
इसलिए शांत हो जाएं,रोना बंद कर दे।
आगे की कुछ सोच।-
आत्मा के साथ पूर्व जन्म की ,
कुछ- कुछ बातें रहती निहीत।
हमें ऐसा महसूस जीवन में,
बचपन,सरल,सीधाअबोध,
लगता था कुछ मुझे पता नहीं,
मगर जरूरत पड़ने पर ,
बड़ी-बड़ी बातें आ जाती थी।
सुलझ जाती थी अनकही कहानी,
कभी हम रहती उधर- बुन में ,
कहां से आई है सारी बातें,
मुझे तो पता नहीं इतना गहरी राज।
यही सोचते सोचते जीवन बढ़ती गई,
स्वप्न में आठ जन्म की कहानी आई सामने।
केवल अपने संबंध में ,
कुछ-कुछ लोगों को भी पहचान
थे मेरे साथ इस रूप में।
एक दो घर भी का जहां जन्म,
मैं इन सब को छेड़छाड़ करना चाहती नहीं।
फिर भी कुछ जन्म के बारे में लिखें हैं।
मुझे भी पता नहीं क्या सही क्या गलत।
मन जब बलवती इच्छा से भर जाती
तब लिखना पड़ता।-
विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर
विषय-बाल कविता
सितंबर विश्वकर्मा पूजा,
ये प्राचीन निर्माण राजा,
बच्चों गृह निर्माता पहला,
भोलेबाबा का प्रिय चेला।
हर वास का मंदिर बनाये,
बैद्यनाथ धाम को वसाये,
स्वर्ण नगरी लंका बनाये,
पुजारी दक्षिणा में ले लिये।
सर्वोत्तम शिल्पिकार बच्चो ,
आज भी जोड़ा नहीं समझो,
थे बेजोड़,अनुपम,अनूठा,
उन में कलाकारी की कला।
ए ज्ञान की बातें समझो,
कोटि-कोटि नमन करो बच्चो,
विश्वकर्मा भगवान समझो,
मेरे प्यारे- प्यारे बच्चो।
ये कलाकारी से अभिभूत,
द्वारिका का नगरी बनाएं,
पूर्ण सुरक्षा से भरी भवन,
बुद्धि बलिहारी रहे भगवन।-
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी
75 मा जन्म दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं ,
इसी तरह जीवन में प्रगति,
उन्नति कर आगे बढ़ते रहें,
आपकी प्रगति से ही देश की प्रगति प्रधानमंत्री जी।
आपके सानिध्य में देश में,
सभी तरह की हर क्षेत्र में विकास की दौड़ रही लहर,
स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रही चमक।
पहुंच रहे हैं विकास के उच्चतम स्तर पर हमारे देश।
चंद्रयान,गगनयान,मंगलयान में मिल रही सफलता।
जनता में भी है खुशियों की लहर,
आप जैसा नेता को हमें प्रदान भगवान।
देश में विकास की रथ तेजी से चल रही।
आप युग-युग जियें माननीय मोदी जी,
ताकि हमारे देश में प्रगति,तरक्की हो सके
नमन माननीय प्रधानमंत्री जी को कोटि कोटि।-
ये दुनिया किसी की सगी तो नहीं है
सगी बनने के उद्देश्य से दुनियाँ निर्माण,
मगर भूल यहीं सभी सगी बन पाती नहीं है।
नहीं तो सभी देव अकेले रहते ,
दुनिया निर्माण करने की जरूरत ही नहीं।-
आज का एहसास 17 सितंबर 2025
हम थोड़ा चिंतित थे शायद मेरी पूजा को कोई कुछ करके भ्रष्ट न कर दे। बार-बार यह बातें सताती थी। कुछ दिनों से तो आज भोले बाबा ने एहसास दिलाये मेरे पूजा को कोई भ्रष्ट नहीं कर सकता है, देखती नहीं अघोरी की पूजा हम स्वीकार। केवल मन भाव होना चाहिए, जिस रूप में इस रूप में पूजा होती हमें स्वीकार। हर देव को पहले ही पता था, वहां हो सकता है, अलग करने की कोशिश। पूजा में विरोध इसलिए भेजा हमको हर हालत की पूजा शुद्ध। रह सके हम यहां उपस्थित। आज के बाद कुछ करने वाले को मिलेगी नहीं माफी अब क्या सच क्या झूठ हमको कुछ पता नहीं खुद भी डर गए थे आज पहली बार लगता था मेरे ही दर्द की बाहर कोई आवाज दे रहे हैं तस्वीर लगी है मेरे हृदय में ही ऐसा महसूस। हम दिए हैं उद्देश्य सुरक्षा का दायित्व मुझ पर। तुम तो कभी सोची भी नहीं थी मानव विचार लिखने का प्रकृति लिखने का लेकिन ले गई हम उसे और यही उद्देश्य से भेजे हैं, कालिदास की शिष्या जैसा प्रेम तो तुम भी खूबी लिख सकती थी मगर उसे और क्यों नहीं ले गए। हां उसे प्रेम की ओर रखें हैं, लिखने के लिए केवल प्रेम का उद्देश्य प्रेम का अर्थ, परिणाम आदि। आपका ध्यान तो केवल प्रकृति और पूजा में था। मानव विचार में तो कभी नहीं। यही आज की बात। नमन भोलेनाथ हृदय से कोटि-कोटि।-
वर्षा पानी को भी प्यार हो गया,
सभी मंदिरों से,
कर रही दर्शन हर नदियां इष्ट देवों को।-