आज गम इस बात का है,आज गम किस बात का है
कल खुशी उस बात की थी, कल खुशी किस बात की थी
कल मेरे दिल में तेरे लिए एक मासूम सी हसरत थी
लेकिन मुझे क्या पता था-लेकिन मुझे क्या पता था ए जालिम तेरे दिल में मेरे लिए इतनी नफरत थी
मेरी मोहब्बत की रोशनी जल गई-मेरी मोहब्बत की रोशनी जल गई,
तू न जाने कितनी शिदत्तो से सवारी थी जो तेरे इश्क की चांदनी-तू न जाने कितनी शिदत्तो से सवारी थी जो तेरे इश्क की चांदनी
वह कुछ ही पलों में ही ढल गई
जिस मोहब्बत को धूप की-हसरत थी जिस मोहब्बत को धूप की हसरत थी
उसे तुमने चांदनी रात में जलाया-उसे तुमने चांदनी रात में जलाया
ऐसी भी क्या हमने गैरत की-ऐसी भी क्या हमने गैरत की
क्यों तुमने हमसे इतनी नफरत की-क्यों तुमने हमसे इतनी नफरत की
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