हे! मां जननी, जन्मभूमि है मेरी, तूझको है शत् शत् नमन,
तेरी ममता की है कोई सानी न, आंचल में तेरे सदा रहे हैं हम,
मिट्टी तेरी तिलक है मेरा, यही तो है पहचान मेरी,
न आने देंगें ग़म के बादल, तूझको है मेरा ये वचन,
हे! मां जननी, जन्मभूमि है मेरी, तूझको है शत् शत् नमन।
बूरी नज़र जो पड़ी तूझ पर, दिखलाएंगे कैसे इतिहास बनाया जाता है,
शत्रु से कह दो ज़रा, आज भी हमें विश्व का भूगोल बदलना आता है,
मां की रक्षा परम-धर्म है, शास्त्रों ने यही सिखाया है,
सम्मान के बदले जान भी देंगें, वीरों ने यही बताया है,
हे! मां जननी, जन्मभूमि है मेरी, तूझको है शत् शत् नमन।
-