Bhanu Pratap Singh   (Bhanu Pratap Singh)
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Urdu Shayari lover ☺️🤩🤩
Joined 20 February 2022


Urdu Shayari lover ☺️🤩🤩
Joined 20 February 2022
22 SEP 2022 AT 19:52

चाहे पहाड़ों में बर्फ से ढके चादर हो, या खुला आसमां देखता हूं,
मेरी आंखें दिन के उजालों में भी, अंधेरा देखता हूं,
अब तो कुछ दिनों से अलग ही कश्मकश है ज़हन में,
इस बात को सालों-साल बीत गए और मैं अभी महीना देखता हूं...

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6 MAR 2022 AT 22:40

तूने यूं ही गैरों पर यकिन करके मुझे छोड़ दिया,
तेरी बेवफ़ाई ने मुझे कुछ इस क़दर तोड़ दिया,
अरे! तुझे इल्म भी नहीं कि तेरे दर्द-ए-मोहब्बत ने,
जाने-अनजाने में मुझे मेरे मुस्तफा से जोड़ दिया 🥺✍️🕊️🥀

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5 MAR 2022 AT 18:01

तमाचों का हूनर तुम क्या जानो,
कभी तमाचा खा कर तो देख,
अरे! तुम्हें पिंदार-ए-मोहब्बत का एहसास होगा,
कभी हमें अपना बनाकर तो देख...🥺✍️🕊️

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5 MAR 2022 AT 17:49

तेरी बेरुख़ी‌ ने हमें कुछ इस क़दर परेशान कर दिया 🥺
कि आज ज़िंदा तो हूं पर सांसें नहीं चलतीं ✍️🦄🕊️

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5 MAR 2022 AT 0:20

दुनिया भर का दर्द सहकर भी, जो समंदर में खोती नहीं 🥺
रब का तो पता नहीं, पर मां ऐसी ही होती हैं!!🥺✍️🙏

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4 MAR 2022 AT 23:47

ज़माने ने मुझको नहीं समझा, कोई ग़म नहीं 🥺
मेरी परछाई ने साथ छोड़ दिया, बस यही शिकवा हैं!!
✍️🌹🌹🕊️

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3 MAR 2022 AT 12:36

🌹वक्त की ताबीर को समझने की कोशिश कर रहा हूं🌷
न जाने ये हमसे इतना क्यूं रुठा हूआ हैं 🥺🕊️🌚

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3 MAR 2022 AT 12:29

कि यूं तो देखें हैं मैंने हज़ारों ख़्वाहिशें 🌹☺️🌚
बड़ी अधूरी-सी लगती हैं वह ख़्वाहिश जिसकी मंज़िल तू नहीं!❤️🥺🕊️

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24 FEB 2022 AT 15:40

किसी ने बूरा तो किसी ने अच्छा जाना मूझे,
जिसे जितनी जरूरत थी उसने उतना ही पहचाना मूझे!!!😔☺️🥹

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24 FEB 2022 AT 15:10

हे! मां जननी, जन्मभूमि है मेरी, तूझको है शत् शत् नमन,
तेरी ममता की है कोई सानी न, आंचल में तेरे सदा रहे हैं हम,
मिट्टी तेरी तिलक है मेरा, यही तो है पहचान मेरी,
न आने देंगें ग़म के बादल, तूझको है मेरा ये वचन,
हे! मां जननी, जन्मभूमि है मेरी, तूझको है शत् शत् नमन।
बूरी नज़र जो पड़ी तूझ पर, दिखलाएंगे कैसे इतिहास बनाया जाता है,
शत्रु से कह दो ज़रा, आज भी हमें विश्व का भूगोल बदलना आता है,
मां की रक्षा परम-धर्म है, शास्त्रों ने यही सिखाया है,
सम्मान के बदले जान भी देंगें, वीरों ने यही बताया है,
हे! मां जननी, जन्मभूमि है मेरी, तूझको है शत् शत् नमन।

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