The quieter you become, the more you can hear .
-
दिल में दर्द है, होठों पर मुस्कान दिखाता है,
कौन कहता है की आईना सच बताता है |
एतबार - ओ - मोहब्बत ही खूबसूरत जहां बनाता है,
फकत शिख्त जुड जाने से केवल मकां बनाता है||
-
Jaane anjaane me hi jab dikhava karne lagti hu
Dusro ki manzuri ke khatir jab jhuth bolne lagti hu
Kuch daur apne se door ho bethti hu main ,
Jo ho napasand usko karne ke dikhave aur pasandida chiz me katrane lagti hu
Mere aur mujhme kuch aur nazdikiyan kam kar bethti hu main ,
Kuch gaur se dekha to , do hai mere andar ek bas dekhta aur dusra karta hai , main kaun hu pta nhi par lagta hai jese dekhne wala sukuni me hai aur karne wala door becheni mai hai
Aur roz kuch duniya dari ke dhong karke , dekhne wale se kuch kadam khud ko door hi pati hu main-
सुरमई आंखों में वो लिखती थी कई कहानियां,
लोग पढ़ते थे होठ, नजरे नज़रंदाज़ करके !!-
We live in a world where a dead chicken is more valuable than alive .
-
होंठ सच बोलते हुए झूठी नज़र से बेहतर है।
सच्चे दुश्मन झूठे दोस्तों के कहर से बेहतर है।।
घुट-घुट कर मरने का शौक नहीं है मुझको।
तुम्हारी कड़वी बातें मीठे ज़हर से बेहतर है।
रोटी खून पसीने से मिली हो तो ही सही।
मेरी शान तेरी दुत्कारती मेहर से बेहतर है।।
दो दिल से दुआ जो आते-जाते हर बशर को।
तुलसी माला जपना आठों पहर से बेहतर है।।
महक मिट्टी में है खुशबू सच्ची मोहब्बत की।
मेरा गाँव अब भी तुम्हारे शहर से बेहतर है।।-
तमन्नाएँ अपनी सारी तकिये तले रख कर सो रही हूं
जो हक़ीक़त में न हुआ वो मैं ख्वाबों में हो रही हूं।।
कुछ मोहब्बत कर रही हूं, कुछ और निखर रही हूं,
मैंने खो दिया औरों को खुद को पाने की खातिर,
अब दोबारा खुद को खोने से डर रही हूं।।-
हम चल तो पड़े है सफर पर लेकिन , मंजिल है काहा मालूम नही
शुरू तो किया बड़े नाजों से पर अंजाम है क्या मालूम नही
कब जाम भरे , कब दौर चले , कब आए उधर मालूम नही
उठी भी अगर ठहरेगी काहा अपनी ही नज़र मालूम नही
जो मिल भी गई हमको मंजिल होगी वो आखरी मालूम नही
सफर है खूबसूरत इन लहरों के बीच , क्या किनारा भी होगा दिलचस्ब मालूम नही
सबको दस्तक कर बैठे है बस अपना ही पता मालूम नही
मत पूछो मुझसे कौन हु में, मत दोहराओ मेरी इस गलती को , तुम जानो अपने बारे में बाकिओ को कहो मालूम नही-
इश्क़ ज़मीं पर रखता है मुझे ख़ुदा होने नहीं देता,
हूँ खुद से जुदा, पर तुझसे जुदा होने नहीं देता।।
भटकते हैं, और फिर आ जाते हैं दर पर तेरे ही,
इत्र हवाओं में तेरा, मुझे गुमशुदा होने नहीं देता।।
रंजिशें यूँ तो कई हैं ज़हन में मेरे औरों से मगर,
उसूल अपना भी है जो मुझे बेहूदा होने नहीं देता ।।
मुस्कुराहटें भी क्या खूब सजाए बैठे हैं होठों पर,
लबों का झूठ, आखों का सच बेपर्दा होने नहीं देता।।
हसा देती हु लोगो को रात को जगमगाता देख,
बस उनका हँसता चेहरा, मुझे ग़मज़दा होने नहीं देता।।-
धोकादही दुनिया मे इस कदर मामुल बन चुकी है की लोग वफादारी को खुदाया मान बैठे है ,
और हमे लगता था कि वफादारी तो एक आम बात है!-