सब घिरे हैं अपनी अपनी परेशानियों में
कोई रोना तो कोई सुलझाना चाहता है-
हर पल नश्तर ज़ुबाँ से चुभाने वाले लोग
ये बात अक्सर भूल जाते हैं
कि ज़ुबाँ तो उसके पास भी है
वो बस कदर रिश्ते की करता है-
चंद कोशिशें नाकामयाब हुईं
एक सफल प्रयास ही दुनिया झुकाने के लिए बहुत है ।-
कभी दूसरे के नज़रिये को भी समझने की कोशिश कीजिए
हमेशा आप ही सही हों ये ज़रूरी तो नहीं
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अंदर ज्वालामुखी है जो ऊपर से पहाड़ जैसा दिखता है
मैंने देखा है लोगों में धधकते हुए लावा को,
जलता है इंसान हर पल उस आग में
बाहरी शांति का मतलब सुकून हो ये ज़रूरी तो नहीं !-
पहले सा इस रिश्ते में अब कुछ नहीं ,
वजूद खुद का ही मिटा दिया
रिश्ता बचाते बचाते-
अहसास तो होने दो उसे आपकी कमी का
जो आपकी अहमियत नहीं जानते
उजाले में एक तरफ़ रखे चिराग़ की क़ीमत
अन्धेरे में ही समझ आती है-
रूठे रहे वो मनाने की इंतेहा तक ,
रूठने मनाने के इस खेल में
एक और रिश्ता “अहम” की भेंट चढ़ गया ।
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From sleepless nights and endless talks
To waiting whole night and not getting replies ..
This is how it ended..!-