ये हम-सफ़र तो सभी अजनबी से लगते हैं,
मैं जिसके साथ चला था..
वो.. क़ाफ़िला कहाँ है ?
@bhaigiri__-
#bhaigiri__
'धर्मो रक्षति रक्षितः’
💯Ꮤᴿᴵᵀᴱᴿˢ Lɪғᴇsᴛʏʟᴇ
ॐ🇮🇳
ੴNᴀᴛɪᴏN F... read more
मैं अकेला ही रहा.!
इस तरह..
मैंने नहीं दी!
अपने विदा के समय..
किसी को,
अपने चले जाने की पीड़ा.!!
@bhaigiri__-
गम और खुशी में,
फ़र्क न महसूस हो जहाँ!
मैं दिल को उस मक़ाम पे,
लाता चला गया!!
@bhaigiri__
-
जो निकल पड़ते हैं अकेले..
मंज़िल की तलाश में.!
उन्हें काफ़िले की..
ज़रूरत नहीं होती.!!
@bhaigiri__-
तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं!
मैं बेपनाह अँधेरों को सुबह कैसे कहूँ.?
मैं इन नज़ारों का अँधा तमाशबीन नहीं.!!
तेरी ज़ुबान है झूठी जम्हूरियत की तरह,
तू एक ज़लील-सी गाली से बेहतरीन नहीं.!
तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर,
तु इस मशीन का पुर्ज़ा है, तू मशीन नहीं.!!
- दुष्यंत कुमार (पुण्यतिथि)
@bhaigiri__-
काश मेरी ज़िन्दगी में,
सरहद की कोई शाम आए!
काश मेरी ज़िन्दगी..
मेरे वतन के काम आए!!
ना खौफ है मौत का,
और ना आरजू़ है जन्नत की!
मगर जब कभी ज़िक्र हो शहीदों का,
काश मेरा भी नाम आए!!
@bhaigiri__-
मैं जला हुआ राख नहीं,
अमर दीप हूँ!
जो मिट गया वतन पर,
मैं वो शहीद हूँ!!
@bhaigiri__-
परछाइयों को पकड़ने वालों.!
छाती में जलती हुई आग की,
परछाईं नहीं होती!!
@bhaigiri__-
जहां से लोग साथ छोड़ जाते हैं,
वहीं से रास्ते शुरू होते हैं!!
@bhaigiri__-
गले लगकर भी,
सुलझ सकती है उलझनें तेरी!
मेरे दोस्त़ हर मसले का उपाय,
सिर्फ जंग नहीं होता!!
@bhaigiri__-