पाठशाला की परीक्षा में ,
मेरे पिताजी पर कुछ लिखे सवाल आता था।
मार्क्स मिलने का सवाल मेरे पिता जी ही जिंदगी थे।
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पहले खुद से प्यार करना
फिर अपने दर्द से प्यार करना।
पहले खुद मुस्कुराना सीखना
फिर अपने परेशानी को दिखा मुस्कुराएं ऐसे।-
ख़्वाब में से बाहर तो आ गए ।
नींद थी आंखों पर,
सच झूठ के भ्रम में
यकीन नहीं कर पाया।
सच भी होते कभी कभी ।
ख़्वाब भी मिलने आते ऐसे,
फुल खुशबूसे मिले है जैसे।
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बाते भी चुभती हैं,
काटे भी चुभती हे उन्हें।
जनाब लोगों को झूठ क्यों नहीं चुभता।-
सालों यही सीखा नेक कर्म करो।
इसके लिए सबको हेल्प करते।
गलतीया भी बताते रहे सबको ।
कुछ लोगों को समझ आया ।
और
कुछ लोगों को समझ नहीं आया।
हम writer है।
साज़िश करना और बदला लेना हमारी आदत नहीं।
सच लिखना और सच समझाना कर्तव्य है हमारा।-
हम सालों लिखते रहे हैं ।
वेरिफाइड identy प्रूफ है के है
हम हैं ।
वरना लोग सच को भी झूठ कहते।
आजकाल मदद करो सबको कहा तो कहते
Prof दो आपने हेल्प की।
इसलिए सालों स्टारमेकर सिंगरको हेल्प करते रही।
Inspire करते रही।
verified singer बन सकती।
पर हमें नहीं पसंद।
हमें पसंद लिखना और हेल्प करना-
हम सालों लिखते रहे हैं
वेरिफाइड identy प्रूफ है
वरना लोग सच को भी झूठ कहते।-
जब दर्द ही हकीक़त है
सच्चाई से भागना क्यों
झूठी हसी ना मिले कही
रोना आए तो हंसे क्यों
आसान कुछ नहीं यहां
मौसम जैसे बदले नहीं क्यों
मंजिल दूर होगी बहुत ही
सफर करते थक गये क्यों
थककर बैठे पेड़ की छांव में
सोचा धूप में रहता वो क्यों
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कुछ लोग अपने साथ ही नहीं
खुद में इंसान नजर आता नहीं
दूसरे को क्या दोष देते तुम
जिंदगी को तुमने समझा ही नही
हम किसे समझा रहे थे
जिन्हें सबक याद ही नहीं
नेक कर्म करते रहते वो
इंसानियत जो कभी भूलते नहीं-