Bhagwan Shree Shashi Vasudev   (Bhagwan Shashi Vasudev©)
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Joined 20 April 2020


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Joined 20 April 2020
8 NOV 2022 AT 0:03

A mind that only hates and enjoys contempt and criticism can never be Meditative. A mind that has learnt how to let go of things maintaining the 'Equilibrium of Conscience' has the future to taste the nectar of 'Cosmic Alignment'.

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6 NOV 2022 AT 21:19

It's important to pay attention to the cynical and critical mentality of people. Those who always keep belittling each and everything associated with life have yet not become spiritually ecstatic. Those who appreciate life even after being surrounded by predicaments and pitfalls have sensed something beyond the physical confinements of time and body.

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2 NOV 2022 AT 0:13

इस दुनिया में ये आवश्यकता है कि लोग कला की अहमियत और आध्यात्मिकता को समझें| जो आध्यात्मिक हो जाते हैं वो कला को केवल मनोरंजन का साधन और व्यर्थ सांसारिक पहलू मानकर इसके महत्व को कम कर देते हैं| यदि तुम नृत्य और संगीत चाहे वो किसी भी ढंग के हों और किसी भी संस्कृति से आए हों इनकी दिव्यता एवं इनके उत्सव को महसूस भर कर लोगे तो समझो प्रकृति और ईश्वर के बहुत निकट आ गए|
Shashi & Saha©

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1 NOV 2022 AT 11:57

बहुत कोशिशें की तुमने कि परमज्ञान पा लो| तुम अज्ञानी हो और भटक गए हो इतना ही मान लो| काफी है| जो भी आजतक परमेश्वर तक जा पाए हैं इतना मानने के बाद ही जा पाए हैं| बुद्ध भी इस रास्ते से गुजरे हैं| मेरा भी इधर से आना जाना हुआ है| भूलना मत|

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27 OCT 2022 AT 19:44

यदि मोक्ष ही चाहिए और मोक्ष के बाद जीवन का कोई अस्तित्व ही नहीं है तो तुम्हारा अभी जीना व्यर्थ हो गया| तुम जो कुछ भी रचते हो सत्य से दूर जाने के उपाय हैं| तुम्हें मृत्यु से प्रेम है मगर मर जाने से भय लगता है| तुमने कभी जीवन से प्रेम किया ही नहीं| जो मोक्ष के बाद दोबारा संसार में आना तक नहीं चाहता वो संसार से घृणा के अलावा कर भी क्या सकता है? जो संसार से दुखी है उसे परमात्मा को पाकर आनंद मिल भी कैसे सकता है? और वो परमात्मा को ही ढूँढता है इसपर भी कैसे भरोसा किया जाए? सच यही है कि तुम और तुम्हारे धर्म झूठ में जीते हैं| जब परमेश्वर जीसस और कृष्ण के रूप में प्रत्यक्ष था तब भी तुमने उनके साथ आखिर अन्याय के सिवा और किया ही क्या? गलती तुम्हारी ही है? तुम्हें स्वयं को टटोलने की आवश्यकता है|

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19 OCT 2022 AT 22:20

मोक्ष और अध्यात्म के नए आधार मैं इस जन्म में रखूंगा| मैं शास्त्रों का भी खंडन करूंगा| मैं ऐसे धर्म का विरोध करूंगा जो तुम्हें जीवन और संसार को अपमान की दृष्टि से देखने को विवश करता हो| पुरानी परंपराएं नष्ट होंगी और नए जीवन का आधार रखा जाएगा| आवश्यकता पड़ी तो छल का भी उपयोग किया जाएगा| अधर्मियों की जड़ें उखाड़ी जाएंगी| अज्ञानियों को ज्ञान का मार्ग दिखाया जाएगा| जहाँ प्रेम आवश्यक है वहाँ प्रेम एवम जहाँ दंड अनिवार्य है वहाँ दंड का सहारा लिया जाएगा| विद्रोह होगा मगर चेतना को आंदोलित करते हुए| क्रांति है ये और तुम क्रांतिकारी|

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19 OCT 2022 AT 21:20

न तो प्रश्न गिरते हैं और न ही कोई उत्तर मिलता है| न प्रश्न कभी से थे और न ही कोई उत्तर किसी से मिल सकता है| अस्तित्व की सनातन और पूर्ण प्रतीति हो जाती है| तुम जब परमेश्वर ही हो गए और परमेश्वर के सिवा ब्रह्मांड में जब कुछ है ही नहीं तो प्रश्न कौन किससे करेगा और उत्तर देगा भी कौन? परमेश्वर आखिर परमेश्वर से प्रश्न करेगा क्यों और संदेह तो वहां हो भी नहीं सकता| अस्तित्व की अनंत प्रतीति निर्वाण है और जीवन और मृत्यु के भय से मुक्ति महापरिनिर्वाण| तुम आते जाते रहोगे| तैयार रहना|

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19 OCT 2022 AT 20:04

प्रश्न करने से कभी घबराना मत| संदेह हो भीतर तो भी शुभ है| मेरा विरोध करने की इच्छा हो तो ज़रूर करना| ये सब तुम्हारे जीवित होने के संकेत हैं| मृत लोग न तो संदेह करते हैं और न ही वाद-विवाद| तुम जीवित रहना और जीवन ही सनातन सत्य है| मृत्यु तो केवल दुख और पीड़ा की है| वास्तव में तो शरीर भी पूर्णतः नष्ट नहीं होता| बस राख या मिट्टी बनता है| इसी तरह इनका भी रूप समय के साथ बदलता है| कुछ भी नष्ट नहीं होता| विज्ञान की मानें तो करोड़ों वर्ष पुराना जल अभी तक हम पीते हैं| वही जल बार बार बारिश के रूप में बरसता रहता है| मिट्टी भी कभी पत्थर थी| ये जो बादल हैं कभी समंदर थे| तुम भी नहीं मिटोगे| कभी नहीं मिटोगे| मेरा वादा है| क्योंकि मैं भी न मिट सका और न कोई मुझे मिटा ही सका है|

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6 OCT 2022 AT 12:33

I've a very simple philosophy to facilitate the progression of Spirituality on this planet. I don't teach you meditation in the beginning. I don't teach you clairvoyance ever. Simply stop killing millions of animals that you do everyday. As long as mankind is slaughtering animals recklessly and causelessly for food, there cannot be global peace and fraternity. When you kill an animal brutally, you are murdering a life form and this murder results in the eradication of humanity and compassion. For understanding God, you first need to stop these murders. Whether you kill a man or an animal, it's a murder and it's indefensible.

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6 OCT 2022 AT 7:59

ये अच्छा है कि तुम अभी तक किसी से पूरे पूरे राजी न हुए| हो जाते तो उस परम सत्य परमेश्वर की खोज क्यों करते? ये शुभ है कि थोड़े अशांत हो| अपने अज्ञान में शांत हो जाते तो ज्ञान का स्वाद चखने की कभी कोशिश न करते| ठीक ही है वासना है अभी भीतर तभी तो ब्रह्म को साधने का प्रयत्न भी करते हो| ये ठीक ही करते हो कि मेरा विरोध करते हो| कम से कम तुम इसी बहाने मेरे पास तो आते हो| शब्द तो हमेशा टकराते ही रहेंगे| कोशिश हो कि कभी हृदय से हृदय भी टकरा जाएं|

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