Bezuban_shabdo_ Khel   (Bezuban_shabdo_ka_khel)
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Don't forget to write your sentiment.
Joined 6 April 2018


Don't forget to write your sentiment.
Joined 6 April 2018
8 MAR 2022 AT 10:15

जिसके बिना जीना मुश्किल हो जाए,
रात ढलते ही वो मंजिल हो जाए।

पहली दुआ में माँगा करना उसे...
चाहे भले ही पुरी दुनिया रहे तेरे पास,
ये सारी दुनिया ही तेरे लिए फर्जी हो जाए।

इश्क़, इबादत , कलमा और क़ुरआन न रहे तेरे हक़ में,
तु हरदम मेहरबां रहना उस मेहरम का...2
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14 FEB 2022 AT 6:53

मैंने कहा.....मेरे ख़ातिर खुद को बदलोगे?
आईना लानत कर मुझपर मुस्कुराने लगा।— % &

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10 FEB 2022 AT 17:18

हर हक़ की बात की लड़ाई को,
हिंदू-मुस्लिम के चौखट पर न लड़ा जाए तो बेहतर होगा।

Read full article in caption↩— % &

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8 FEB 2022 AT 9:19

यकीनन मेरी सब्र को आजमाती है....
तुम तक चहुँचने से पहले ही,
मेरी नाव दरिया में डूब जाती है

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27 JAN 2022 AT 13:34

मैं तो अब ग़ज़लों पर जिंदा हूँ,
ये शेर ओ शायरी मेरे दोस्त यार हैं।

मैं सोने जाता हूँ तो,
धुन की बिस्तर होती है।

जब सुबह खुलती है आँख मेरी,
तो लगता है मिर्जा ने पुराने नज़्म के गिरह खोलें है।

रात एक दुहराई गई संगीत की तरह कट जाती है,
ख़्वाब आती हैं और कुछ देर ही बैठ कर चली जाती है

रोककर रखना चाहता हूँ ख़्वाबों को अपनी ज़िंदगी में,
मगर इसके बिना ही रात अच्छी-खासी कट जाती है,

कलमो के सहारे फेर लेता हूँ क़िताबों पर हाथ अपने,
मेरा तो इतने में ही गुजर बसर हो जाती है।

इश्क़ था तो शराब भी थी जिंदगी में,
बात ऐसी है वो पीने से मना करती तो बड़ा अच्छा लगता था।

कुछ खास फर्क नही पड़ा उसके चले जाने से ज़िंदगी पर,
पहले दुआ-सलाम के साथ बुलावा आता था मयखाने से
अब सिर्फ बस बद्दुआ आती है।

जब भी गुजरूं मयखाने के गली से,
मेरे कानो में मेरे ही बेवफाई के ग़ज़लें सुनाई देती हैं।

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27 JAN 2022 AT 13:20

आप उसको कभी मत खोना,
जो आपके लिए अपनी माँ बाप कभी न खोना चाहे।

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22 JAN 2022 AT 10:06

अगर आप किसी से प्यार करते हैं तो आपको सोयाम्बर बनाने और प्रतियोगिता आयोजित करने का अधिकार है, आप पूरे समाज को बताते हैं कि मेरे द्वारा चुना गया प्यार मेरे लायक है।
आप उसकी क्षमताओं को निखारने में उसकी मदद करते हैं।
अगर आप किसी से प्यार नहीं करते हैं, तो कई दिलों को एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी बनाकर एक-दूसरे से बड़े होने की गलत भावना पैदा न करें।
आप सोयम्बर के लायक नहीं हैं।

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20 JAN 2022 AT 0:47

जिनके बुने धागे नही है,
उन्हे उसकी टुट जाने की कोई गम नही।

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11 JAN 2022 AT 12:13

मंज़िल मेरी भी थी कही.....

मगर रोक दिया गया मुझे ये बता कर,
की उन रास्ते पर दीवार खड़ी है।

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6 AUG 2021 AT 9:52


कईयों को बिगाड़ा है अब तक,
मुझे लोगों को बिगाड़ने के लिए ही भेजा गया था शायद।

मगर सुनो! सुना है तेरे संगत के लोग बहुत सुधरे हैं,
वक़्त मिले तो मुझे भी सँवार देना जरा।

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