क्यो दुनिया में दिमाग़ लगाकर दिल के रिश्ते पाले जाते है
बेजान क्यों बिन प्यार बिस्तर के सलवट निकाले जाते है
क्यों एक बंधन में दो अजनबियो को बांधकर उस थोपे गए रिश्ते से बच्चे निकाले जाते है
क्यों समाज में आशिक़ मरते है और जनाजे डोली बनाकर निकाले जाते है
बेजान क्यों इस दुनिया में फरेब के रिशते बड़ी तबियत से संभाले जाते है
क्यों उसकी मुर्दा आँखों पर घुंगट के पर्दे डाले जाते है
क्यों सेहरो के पीछे मर्द के आँसू छुपाले जाते है
बेजान क्यों मुर्दों की बस्ती में ढोल नगाड़े तमाशे और सिक्के उछाले जाते है
बेजान क्यो….-
उसने कहा था बेजान तुम मेरे सपने हो
मेरी साँसो से भी ज़्यादा तुम बेजान तुम मेरे अपने हो
उसने कहा था की दूर जब मैं तुमसे जाती हूँ
बेजान सच कहती हूँ ख़ुद को आधा ज़िंदा और आधा मुर्दा पाती हूँ
उसने कहा था बेजान ये जो आँखे तुम्हारी इनमें कुछ है जो मुझे बेचेंन करता है
ये दिल बेजान दुनिया में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी ही सूरत पर मरता है
उसने कहा था बेजान ले चलो मुझे कहीं दूर एक छोटी सी दुनिया तुम्हारे संग बसाऊ
सोउ तो तुम्हारी बाहो में ,तुम्हारे ही सपने और उठु जब सवेरे तो तुम्हें ही पाऊ
उसने कहा था बेजान तुम पराये हो मेरे जीवन पर गमो के साये हो
क्यों मेरी जिंदगी में आए हो ,चले जाओ मुझसे दूर तुम पराये हो
उसने कहा था…….-
ये सर्द रात और तेरी याद दोनों जान माँगती है जाना
जंग में खड़े है ख़ाली बंदूक लिए की हथियार भी नहीं उठाना और घर भी नहीं जाना
जाना तेरे जाने के बाद बेजान को इन लंबी रातो ने खूब सताया है
बैठकर पास तेरी बाते भी की है और तेरा नाम किसी और के साथ लेकर खूब रुलाया है
कभी जो आए तू दिसंबर में बेजान की गली से जरूर गुजरना
कुछ पेड़ लगाए है मैंने गुलमोहर के तेरे लिए ,में रहु ना रहु मेरे खून से रंग के फूल तू शोंक से चुनना
नियति कुछ ऐसी है बेजान की
मिलकर बिछुड़ना फिर बिछड़कर मिलना और यादो में जलना l-
बेजान तुम्हें ये सुकून की शाम मुबारक ,क्या अब आराम से हो
खोकर उस बेवफ़ा को ग़ैरों के हाथ ,क्या बचे कुछ काम के हो ?
दिल बेजान का जालिम जल जल कर ख़ाक हुआ
दिल भी टूटा ,घर भी छूटा और दामन भी नापाक हुआ
बेजान उम्र भर मुर्दा सा देखता रहा गेरो की फसल पर गिरती बरसात को
दिल भी बंजर ,आँखे बंजर और तकता है आसमान सुनी रात को
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एक दूसरे की गर्दनें काटती इस भीड़ में मैंने एक अदना सा रूह का सुकून पा तो लिया था
पर इत्र की सीशी सी वो महसूस की हदो में थी उड़ेलने पर मिटने जैसी-
जब भी मैंने कुछ लिखना चाहा है तेरी ही बेवफ़ाई याद आई है
मेरा क्या है मर जाऊँगा एक दिन तेरा नाम सीने में दफ़्न किए ,तू ख़ुश रह तूने ये बेवफ़ाई जो बड़ी मेहनत से कमाई है
फ़िक्र ना कर तू तेरे नाम पर लिखी इन नजमो का ,नहीं पड़ने वाला तेरे जीवन पर कोई काला साया है
हाँ बेवफ़ा है तू जाना पर बेजान ने मर मर कर हर लम्हे तेरा नाम छुपाया है
तू भूल सकती है उन रातो को बातों को बेजान के अनकहे जज्बातों को
पर जाना तेरी हल्की सी एक हंसी भी दिल पर सवार है
दिल बेजान है ज़रूर पर तेरा वो नाम आज भी हो जाता इस पत्थर से दिल के पार है
खुश रह तू जाना तू एक दरिया है बहने को ,हर एक नदी समुद्र से मिल जाना फ़ितरत है तेरी
मेरा क्या है मर जाऊँगा यही खड़े खड़े तेरे इंतज़ार में ,झीलो को कब बहना आया है
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इक अरसा हुआ तूझे छुए तेरी हँसी से ज़िंदगी आबाद किए
हर ढलती शाम में तेरे नाम पे ना जाने कितने क़ीमती लम्हे हमने बर्बाद किए
हर शाम तेरी यादों से मुलाक़ात होती है कुछ बात होती है
हर शाम में बेवफ़ा तू फ़र्ज़ कर ग़ैर की बाहों में होकर भी तू मेरे साथ होती है
कितनी दफ़ा फ़ोटूए बटुए से निकाल कर फाड़ी गई है तेरी गिनती नहीं है
अब ये सिलसिला भी मुझे रोकना होगा बेवफ़ा ,तुझसी तेरी फ़ोटूए भी अब मुझे ढूँढे से भी मिलती नहीं है
हाँ याद है तेरी वो अधूरी बात जो चिनार के तले उस सर्द शाम में तुने आहिस्ते से मुझसे कही थी
की अक्सर लड़कियाँ इश्क़ में जान ले लेती है ,बेज़ान को अब लगता है हाँ वो बात सही थी
तुझसे बेजान की मोहब्बत का कोई मोल नहीं है कोई तौल नहीं है
खड़े है लिये तेरी बर्बादी के कागज ,बेजान के मुँह में पर बोल नहीं है-
उम्र बेच दी मैने उसकी रूह से मोहब्बत में
किसी ने उसे मुफ़्त में ज़िस्म के साथ पा लिया
खो कर उसे राहगीर के हाथ
मुस्कुरा रहे है ,रो रहे है ,अंदर ही अंदर चिल्ला रहे है
बस चले जा रहे है उसकी याद में ,बस चले जा रहे है बेखाब ,बेपरवाह और बेजान ।-
रेल सा पटरियो पर दौड़ता यह जीवन
लांघता जाता है ख़ुशियो और गमो के सब स्टेशन
पहुँचने को मंज़िल पर मुकम्मल क्या तुमने सब स्टेशनों को जिया है
या मंज़िल के इंतज़ार में लेटे ही रह गए
कुछ सोच रहा है दिल
वो दिन आज भी ज़िंदा है जब उसके आख़िरी ख़त मुर्दा किए थे ख़ाक के हवाले
इक रात में उसने मुझे चूम कर कहा था
बेजान ख़ाक हो जाएगे जो होने दिया किसी और के हवाले
क्या खाक के उस ढेर में ख़ुदा ने फिर से जान डाली है
या ह्वाट्सऐप इंस्टैग्रामो पर किसी और के गले में हाथ डाले लगते ये फोटो जाली है
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तुम्हारे और मेरे दरमया एक बात होनी थी
तुम्हारा मुझसे दिन और मेरी तुमसे रात होनी थी
मेरे काँधे पर सर रख कर तुम्हारी आँखो से मोतियो की बरसात होनी थी
गमो की एक स्याह शाम तुम्हारे और मेरे लबो के दरम्या खाख होनी थी
तुम्हारी आँखों में डूब कर कश्ती मेरे ख़्वाबो की पार होनी थी
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों की छाव में काली राते मेरी आबाद होनी थी
हर बार तुझसे मिलकर दूर ना जाने की ही बात होनी थी
जाते वक्त तेरे नाख़ूनो की मेरी कलाई पर छाप होनी थी
मगर ये सब हो ना सका जाना
एक लड़का दिल के टुकड़े लिए खड़ा रहा मुर्दा सा अंधेरे में बहते तेरे आंसू बस महसूस करने को और अगले पल बेजान को तुझसे जुदा होना था
निर्दयी ईश्वर ,क्रूर नियति और दो जोड़ी मुर्दा आँखें
बस इतना सा अंत था उस ज़िंदगी भर के प्रेम का !!
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