वो निकलते चांद सी... मैं ढलता सूरज सा...हम जहां भी मिले... बस शाम हो गई!! -
वो निकलते चांद सी... मैं ढलता सूरज सा...हम जहां भी मिले... बस शाम हो गई!!
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प्रेम में जब मैं डूबा तो आग बन गया।प्रेम को जब मैं समझा तो बैराग बन गया।। -
प्रेम में जब मैं डूबा तो आग बन गया।प्रेम को जब मैं समझा तो बैराग बन गया।।
कड़क सर्द दोपहरी में, गर्म चाय सी तुम।तेज कडकती धूप मे, नर्म छाई सी तुम।। -
कड़क सर्द दोपहरी में, गर्म चाय सी तुम।तेज कडकती धूप मे, नर्म छाई सी तुम।।
उनसे जो मांगा कुछ समयवो घड़ी थमाकर चल दिएउनकी इसी मासूमियत परशायद इश्क़ हो रहा है हमें.. -
उनसे जो मांगा कुछ समयवो घड़ी थमाकर चल दिएउनकी इसी मासूमियत परशायद इश्क़ हो रहा है हमें..
लिखो मगर सुनाओ नहीं,दिल में लगी आग को भड़काओ नहीं,जो छिपा है ओट में दिखाओ नहीं,समझो सब मगर जतलाओ नहीं,लिखो मगर सुनाओ नहीं।। -
लिखो मगर सुनाओ नहीं,दिल में लगी आग को भड़काओ नहीं,जो छिपा है ओट में दिखाओ नहीं,समझो सब मगर जतलाओ नहीं,लिखो मगर सुनाओ नहीं।।
सुलझा, सच्चा, बेखौफ और बेबाक हूं मैं।शायद दुनियां के पैमाने में.... थोड़ा खराब हूं मैं।। -
सुलझा, सच्चा, बेखौफ और बेबाक हूं मैं।शायद दुनियां के पैमाने में.... थोड़ा खराब हूं मैं।।
बाद... मुद्दत के ये पल आयाआज से मिलने फिर कल आयादिल चाहा वक्त के साथ कर ले कुछ गुफ्तगूफिर भी आवारगी संभालते मैं, बच निकल आया|| -
बाद... मुद्दत के ये पल आयाआज से मिलने फिर कल आयादिल चाहा वक्त के साथ कर ले कुछ गुफ्तगूफिर भी आवारगी संभालते मैं, बच निकल आया||
रात बाकी है शाम को ढल जाने दो,आज जाओ ठहर के सुबह हो जाने दो,रहने दो झुल्फे उलझी मुझे दुनिया भुलाने दो,एक ख़्वाब पल रहा है सीने में कहींहकीकत उसे कर जाने दो,एक नज़्म है दास्तां अपनीउसे ग़ज़ल आज बनं जाने दो,रात बाकी है शाम को ढल जाने दो,आज जाओ ठहर के सुबह हो जाने दो, -
रात बाकी है शाम को ढल जाने दो,आज जाओ ठहर के सुबह हो जाने दो,रहने दो झुल्फे उलझी मुझे दुनिया भुलाने दो,एक ख़्वाब पल रहा है सीने में कहींहकीकत उसे कर जाने दो,एक नज़्म है दास्तां अपनीउसे ग़ज़ल आज बनं जाने दो,रात बाकी है शाम को ढल जाने दो,आज जाओ ठहर के सुबह हो जाने दो,
कुदरत भी कुछ यूं छलने लगी।बरसा पानी आसमान से और सारी ज़मीन जलने लगी। -
कुदरत भी कुछ यूं छलने लगी।बरसा पानी आसमान से और सारी ज़मीन जलने लगी।
मेरे महबूब कभी तरसो के तुम भी। तन्हा अंधेरी रातों में बरसोगे तुम भी। -
मेरे महबूब कभी तरसो के तुम भी। तन्हा अंधेरी रातों में बरसोगे तुम भी।