चलो मैं तुमसे इश्क़ भी कर लू, तुम मेरी मुहब्बत बनोगी क्या??
मैं तेरा आसमां बन जाऊं, तुम मेरी ज़मीं बनोगी क्या??
मैं ख़ामोश पसंद इंसा हूं, मेरी आवाज़ बनोगी क्या??
मैं चुप सा समंदर बन जाऊं, तुम कलकल करती नदी बनोगी क्या??
मैं बिखरा सा सहरा हूं, तुम तपती हुई हवा बनोगी क्या??
मैं मुस्तकबिल बन जाऊं तेरा, मेरा अभी का पल बनोगी क्या??
बहुत समय गुज़रा मुझे "बेख़ुद" बने हुए,
मेरा ख़ुद बनोगी क्या??
बेख़ुद...
...An endless thought
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