बेजुबान कलम ... ✍️   (®• बेजुबान कलम •®..✍️)
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Joined 23 April 2019


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Joined 23 April 2019

एक वक्त था ..

कुछ लोग थे , कुछ शौक थे ..!!

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फिर से वहीं पुराना इतिहास ,
दोहराया जा रहा हैं .!

अपनो को मारने के लिए ,
विदेशियों को बुलाया जा रहा हैं .!!

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बस एक मोड़ गलत मुड़ गया था ,
जनाब , फिर ना ही मंजिल मिली ,
ना वापिस घर आए ..!

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जिम्मेदारियों की एक खुबी होती हैं .!

ये आपको कभी बिगड़ने नहीं देती ..!!

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अधूरा ही रहा ,
मेरा हर सफ़र ..
कभी रास्ते खो गए ,
कभी हम सफ़र ..!!

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घर वाले कहते हैं ,
बहुत दुबले पतले होते जा रहे हो .!
अब उन्हें किस तरह बताऊं ,
खुन चूसती हैं कुछ बातें ..!!

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हमसफर ....

किसी के साथ हंसने में क्या बड़ी बात है .!
जिसके सामने जी भर के रो सको ,
उसमें हमसफ़र वाली बात है ..!!

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रोज एक तकलीफ ,
रोज एक नए गम ,
ना जाने कब एलान होगा ,
कि मर गए हम ..!!

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जिंदगी कुछ ऐसे दौर पर है ..
पुराने लोगों से नाता नहीं बचा ,
नए लोगों से मिलने का मन नहीं करता ..!!

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मुझ पर बीती तो समझ आया ..

लोग पंखे से क्यों लटक जाते हैं ..!!

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