Bejubaan Fakir  
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Joined 18 April 2020


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Joined 18 April 2020
27 DEC 2020 AT 23:54

एक सदी बाद ,किसी की याद आई ।।
कि दिल धड़का, और जान में जान आई ।

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27 DEC 2020 AT 23:45

सर्द रात और जज़्बात।
कमबख्त दोनों एक से है।
एक तन को पीड़ा देता है।
दूजा मन को दुख देता है।

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11 AUG 2020 AT 23:22

जहन,जुबां,जिक्र,और जन्नत।।
लम्हा - दर - लम्हा, जिया जा रहा है।
औरों को बता कर, तुझे पिया जा रहा है।

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11 AUG 2020 AT 23:11

कब्रिस्तान सा है, शहर।।
की सांसों को लेकर,मुर्दा चलते है।।

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22 APR 2020 AT 22:34

शम्स सी, सूरत है तेरी ll
देखना भी चाहूँ, चुभती भी है l

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22 APR 2020 AT 22:20

महफिलों सा, बदनाम हूं ll
इश्क़ तेरे में, मशहूर हो कर l

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22 APR 2020 AT 21:56

लिखना, छोड़ दिया है मैंने।।
की चेहरे, पढ़ना सीख रहा हूं।

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22 APR 2020 AT 12:21

मस्जिद सा,कसूर है मेरा।।
मक्का सा, बेकसूर हूं।

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22 APR 2020 AT 11:59

तमाम ताकते,नुमाइश हो गई।।
जब इश्क़ मेरे की, पैमाईश हो गई।

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21 APR 2020 AT 23:38

हर रोज़, कॉपी पेन उठाते हो।।
क्या उनका, नकाब बनाते हो।

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