Being Dashrath   (Being_Dashrath)
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Joined 3 January 2018


Joined 3 January 2018
25 JUL 2020 AT 21:50

आज भी मंजर तेरा ही सबसे खास है
देखता हूं तो,
जी ली हो पूरी जिंदगी ऐसा एहसास है !
इत्र हूं मैं मिट्टी का तू बारिश
मेरी खुशबू का राज है !
और अल्फाजों का इन , इन बेसबरियो का
इल्म भी नहीं तुझे
पर तू फिर भी मुराद है.......

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3 JUL 2020 AT 22:04

यह बारिशें यह आंधीया कहीं तबाह न कर दे गलतफहमीया तुम्हारी !
जरा बच के रहना ,
जो हो गई तबाही तो
बहुत याद आऊंगा मैं !
और यादों में भीगता हुआ तुम्हें हवाओं से नजरे चुराए
नहीं देख पाऊंगा मैं
सच कहता हूं......याद आऊंगा मैं !

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5 JUN 2020 AT 21:05

मजहब (humanity) की तुम्हें परवाह कहां मतलब के लिए सब जीते हो !

एक-एक कर सब रचनाओं को मेरी प्रताड़ित कर तुम खोते हो
ऐसे तो तुम पाखंडी हो अपने ही किए पर दिखावा कर रोते हो
पशु उत्पीड़न , बाल श्रम को हर रोज बढ़ावा देते हो
बलात्कार पर तुम हंसते हो हर रात हिंसा कर सोते हो!

मजहब की तुम्हें परवाह कहां मतलब के लिए सब जीते हो !

प्रेम को हो समझते नहीं सहायता तुम हो के करते नहीं
स्वदेशी कि तुम्हें परवाह नहीं महज बातें करते रहते हो
सच्चाई को तुम मानोगे ही क्यों तुम तो सबसे ही सच्चे हो!!

मजहब की तुम्हें परवाह कहां मतलब के लिए सब जीते हो !

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1 JUN 2020 AT 20:45

तलब गार हम उनके हैं
और वह हम ही से कहते हैं कि
तुम प्यार नहीं करते.......
अरे आंखों से , इशारों से , हरकतों से , बयां किया तो था
अब हर दफा इंतजार इजहार का हम नहीं करते
कदरदार हम उनके हैं और
वह हम ही से कहते हैं कि
तुम कद्र नहीं करते........

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27 MAY 2020 AT 21:45

सुन
मैं धैर्य हूं , विनोद हूं ,
आतंक के लिए मैं रौद्र रूप हूं !
तालीम की मिसाल हूं , सच्चाई की मशाल हूं
मैं सरहदों पर काल हूं !
विपत्तियों में देता हाथ हूं
उन्नत से छूटा पीछे में बढ़ाता कदम उन्नति के साथ हूं !
मैं वेद हूं , मैं योग हूं ,
मैं शून्य की खोज हूं !
मैं हिंदू हूं , मुसलमान हूं ,
मैं सिख ईसाई हर धर्म का रखता ध्यान हूं !
मैं रखता स्वाभिमान हूं सर्वशक्ति का ऐलान हूं
मैं भारत हूं महान हूं !!

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25 MAY 2020 AT 21:38

याद आई है आज फिर तेरी
और मौन हूं मैं
कैसे कहूं कि आज भी तू ही है
परिचय मेरा बिना तेरे बेवजह कौन हूं मैं
कभी तेरी हर नज़्म का अर्थ था
क्यों आज तेरा विलोम हूं मैं
यह आंखें हैं खामोश तरसती
और कुछ 1 साल 3 महीने 7 दिन से मौन हूं मैं !!

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21 MAY 2020 AT 20:33

सुनो

यू मेरी तरह मत देखा करो आईने में खुद को
अगर असलियत से वाकिफ हो गए खुद की
तो बहुत याद आऊंगा मैं !
और.....
इन आंसू भरे बादलों से अतीत के अश्क तुम्हारे नहीं देख पाऊंगा मैं
सच कहता हूं बहुत याद आऊंगा मैं !!

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14 MAY 2020 AT 22:39

उसकी आरजू में भी क्या अदा थी
अदा से ही तो जुड़ी यह पूरी दास्तां थी.....
और वह दास्तां अल्फाजों में यूं बयां है l
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जो था अकेला , था मैं थकेला , यह दिल भी था बंजारा इस दिल में आकर धड़कन सुना के तुमने है मुझको संवारा........
...... वारा , मैं तो गया तुझ पर वारा
एक बार से जी नहीं भरता मुड़ के देखु दोबारा......
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सोचू मैं तो आज भी तुझको चाहूं तुझको ही यारा
यादों का हर वह मंजर जान सा है मुझको प्यारा
एक बार से जी नहीं भरता आजा ना फिर दोबारा.....

वारा , मैं तो गया तुझ पर वारा.....
..... ओ तेरे आगे सब कुछ हारा !!

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30 JAN 2018 AT 23:53

यह कैसा ऐब है मुझमे.....
कि मेरे ऐब सब को नजर आते हैं
बस मुझे नहीं !

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24 JAN 2018 AT 20:52

"What does it mean to be a woman"

An attractive body, water for all lusts and a submissive partner in the society of husbands !

An blindly abide soldier, an alloyed son of God and an all tolerant in the society of all powerful men !

But In the society of god ! Woman ---

The most pious to bear a God's creation in her womb...
The most sacrificing to leave her father's house and marry....
The most understanding and kind to make a new home...
And at last the very second to God
The most caring and loving...... mother!



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