Behtar Hanif   (Behtar)
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Social Shayari Or Chai
Joined 20 November 2018


Social Shayari Or Chai
Joined 20 November 2018
8 SEP 2021 AT 10:04

शेहर शेहर कर रहे है मेरे गाँव के लोग,
छाँव को छोड़ कर धूप में जा रहे है लोग,

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29 AUG 2021 AT 10:32

बोहोत से शेहरो में गुमा हु में,
मगर सिर्फ,
"गाँव" में ही रुका हु में..

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16 AUG 2021 AT 15:25

जो तुम्हारे पास है,
अरे मगर,
क्या तुम्हें पता है की तुम्हारे पास क्या है ?

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7 AUG 2021 AT 12:40

तेरे गम के है ना जाने कितने चेहरे,
के अब हर जगह है उसी के पहरे।

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4 AUG 2021 AT 12:20

बोहोत सोचता है तू,
मगर क्या खुद को,
खोजता है तू ?

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11 JUN 2021 AT 9:50

बदलते सिर्फ "मौसम"
अच्छे लगते है.....!

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8 JUN 2021 AT 17:13

सुकून में सोचु कैसे,
अगर सोचु तो,
सुकून कहा......!

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5 DEC 2020 AT 16:57

अपना घर बना ने में,
लोग अक्सर कई घर
उजाड़ देते है....

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24 NOV 2020 AT 11:06

दुनिया है तो इंसान है,
इंसानो से दुनिया नही...।

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13 NOV 2020 AT 10:27

कही काम है तो कही,
नाम है बस इसी
लिए,इस दुनिया में
गुमनाम है...।

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