देखा था तुझे जब पहली दफ़ा, तो मुझे तुझसे कोई इश्क़-विश्क़ नहीं हुआ था
नापसन्द ही था तू मुझे उस वक़्त, ऐसा भी मुझे कुछ वहम हुआ था
देखकर तेरी नादानीयाँ, मेरा तो मन भी अब तेरी ओर चलने लगा था
यूँ तो महसूस ना करती मैं कुछ, पर तू तो मेरे क़रीब ही आने लगा था
और बताओ एक कोशिश भी नहीं की मैंने रोकने की खुदको
क्यूंकि देखकर तेरी बचकानी हरकतें, मेरा भी ईमान अब कुछ गड़बड़ा ने लगा था
सुन, देखा था तुझे जब पहली दफ़ा, तो मुझे तुझसे शायद इश्क़ ही हुआ था...
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