यूँ ही उदासी के मंज़र नहीं हुआ करते
आँखों में ये समंदर नहीं हुआ करते
आँसू भी अक्सर वही दिया करते हैं
जो ऐज़ा-ऐ-ज़ख्म से बेखबर नहीं हुआ करते
(ऐज़ा=Pain)-
खुद ही कर लेते हैं मरहमपट्टी
जख्मों पर अपने
वैद्य जो कोई करते
घावों का भी सौदा हो जाता-
उन कई अपनों से तो
चन्द ग़ैर ही अच्छे हैं
जो पल भर को ही सही
मेरा दर्द सुनते तो हैं
-
क्यूँ अच्छाईयों का मोल लगाते हैं लोग
नेकी करते हैं या नेकियों का सौदा-
Criticizers too play a big role in my life
Everytime I eliminate my flaws
Everytime I get criticized-
कि अकेले हम ही नहीं हैं
गुनहगार मुहब्बत में
-साहिब-
एक सुर तुमने भी छेड़ा
एक राग तुमने भी गाया-
जिसकी तक़दीर में ही लिखा हो टूट जाना
क्यूँ वो ख्वाब सँजोती हैं ये आँखें हर रात-
मेरी बर्बादी की दास्ताँ
सुनते हैं बड़े अदब से
वो सूखे पत्ते जो गिरे हैं डाल से-
दिल तो यूँ बदनाम है टूटने के लिए
सबसे ज्यादा कुछ टूटा है ,
तो भरोसा टूटा है , ज़माने में
उसीने तोड़ा जिसपर भी किया जब जब
-
न मिल मुझे आकर फ़िर से ऐ मेरे रहबर
फ़िर वही शाम-ए-नम, फ़िर तेरी जुदाई का ग़म
उसपर ये दूरियाँ शायद जीने न दे मुझे-