Bedabrata Arya   (BB Arya)
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मैं मूलतः सामाजिक विषयों पर लिखता हूँ।
Joined 13 April 2021


मैं मूलतः सामाजिक विषयों पर लिखता हूँ।
Joined 13 April 2021
22 JUN AT 13:34

'आग'

बाजार में आग लगाना, हमारा मक़सद नहीं !!

लगी हुई आग को भीड़ में फैलाना, हमारा मक़सद नहीं !!

और जलती राख को, बिन बुझाये चले जाना

हमारा मक़सद नहीं !!

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20 JUN AT 15:36

'ईमारत'

आज के ज़माने में, घरों की ईमारत तो बड़ी हो गई !!

पर दिलों के दरवाजे, छोटी रह गयी !!

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16 JUN AT 13:34

'बलबूते'


शर्म से सर झुका दूँ तुम्हारी, अपनी कलम की बलबूते पे !!

हमें यूँ ही नज़रअंदाज़ न करो, अपने पैसे की बलबूते पे !!

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1 JUN AT 16:27

'नौकर'

तुम अगर होती, तो शायद

मैं जोरू का गुलाम बन जाता

तुम्हारी हाँ में हाँ मिलाने के चक्कर में

मैं नौकर बन जाता !!

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31 MAY AT 17:37

'खाली मैदान'


हैसियत कमाने, घर से निकला हूँ बहार !!

अपने अप्पको परखने, घर से निकला हूँ बहार !!

ज़िन्दगी के इस खाली मैदान में, अपनी कहानी लिखने !!

घर से निकला हूँ बहार !!

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30 MAY AT 16:26

'हैसियत'


हैसियत की लड़ाई है यहाँ !!

ये ज़िंदगी नहीं, जंग का मैदान है यहाँ !!

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20 MAY AT 10:06

'हैसियत'

इश्क़ के बाज़ार में, मेरे अलफ़ाज़ मुझे धोखा दे गए !!

वरना हैसियत तोह पूरा बाज़ार खरीदने की थी !!

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19 MAY AT 13:15

'अलफ़ाज़'

नए जमाने में

मोहब्बत की कीमत पैसो से चुकानी पड़ती है साहब

अल्फ़ाज़ों से नहीं !!

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17 MAY AT 10:43

'प्यार की कीमत'

बज़ारे ए इश्क में, प्यार की कीमत चुका ना सके !!

उम्र यूँ ही ढलता गया और सपने बिखरते गए !!

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16 MAY AT 10:09

'बोली'

प्यार और मोहब्बत की, बोली लगी है आज !!

बाज़ार में, भीड़ बहुत है आज !!

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