ना जाने ये किस्मत अब कहाॅं ले जाना चाहता है ये धुंधले है वक़्त पर अब जिन्दगी होले से मुस्कुराना जानता है ये ज़िन्दगी ना जाने कब से उम्मीद की राहों पर चला आ रहा है कोशिश तो जल्द ही मंजिल पाने की थी पर अब तो मुसाफ़िर बनने में ही मजा आ रहा हैै मन में बहते सवालों की दरिया अब उत्तर की समन्दर से मिलना चाहता है अब तो हर रोज बस चला जा रहा हूं,जहाॅं ये किस्मत ले जाना चाहता है।। bebak_poetry
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यु तो चाँद सबसे दुर होके भी सबके करीब होता है कभी कभी दुरियो का फासला भी ख्यालो से कम होता है जरुरी नहीं रिश्ते को महफुज रखने के हर दफ़ा मिलना-जुलना जरुरी होता है मैंने दिन रात को न मिलने पर भी, एक-दूसरे के बाद आते-जाते देखा है ।
ख्वाब दरिया का है पर समुन्दर पाने की चाहत है कदम बेताब है दौड़ने को पर मन पिछले हार से आहत हैं धुंधला तो बस ये शाम का सफ़र है फिर कल की सुबह सुकुन की राहत हैं ये भागदौड़ में खुद से दूर निकल आया हूं अब बस खुद में मिल जाने की चाहत है।।
पहली दफा नजरें यु ही टकरा गई थी दुसरी बार से बचना सीख लिया था वो छोटी बातें अब शायद लम्बी होने लगी थी पर अब वक़्त का फुलस्टॉप देना सीख लिया था सवाल बहुत थी मन का और लोगों का पर अब सवालों को सवालों से काटना सीख लिया था अकसर कहानियों में जिक्र उसी का करता था पर अब व्यंग की शब्दों से दुनिया से छिपाना सीख लिया था।।
गुजरते वक़्त के साथ क्या कुछ नहीं गुजर गया वो गुजारे लम्हे भी वक़्त की धुल में कन्ही घुल सा गया बहुत रंग बदला उस चेहरे का अब तो वह चेहरा भी मैं भुल गया वक़्त तो धीमा ही रहा पर कोई था जो इससे भी तेज गुजर गया हां वक़्त के साथ बहुत कुछ गुजर गया।।
मैं शायद कुछ नया नहीं लिखता हूं बस बीते लम्हों को शब्दों में जिन्दा करता हूं कभी गुमसुम सा होके गुमनाम सा रहता हूं कोई सवाल ना कर दे इन राजो से बस युही दुर रहता हूं ना पीछे रहने की आदत है और ना ही तेज भागने की जीद है बस कन्ही बदलते वक़्त में किश्मत भी बदल जाए इसकी मुझे उम्मीद है ये बीतते वक़्त में हर पल में खोकर गुजारना चाहता हूं कलम की स्याही भले ही फीकी है पर इनसे सफेद कागज को रंगना चाहता हूं बहुत सवाल है मन में मेरे अब बस इसे शब्दों में उतारना है कुछ खास नहीं लिखता हूं बस बीते यादों को अब कागज पर जिन्दा करना है।।
तुम अंधाधुंध किस ओर जा रहे हो,जहाँ नहीं है खुद का फिक्र उस मंजिल का भी क्या फायदा जहाँ नहीं अपनों का जिक्र माना इस भाग-दौड़ में दो वक़्त निकालना भी मुश्किल होता है पर जरा ठहरो और सोचो किसे ने तुझे यहाँ पहुँचाने के लिए अपना वक़्त दिया होता है।