एक जरिया ही मुस्कान है क्या हंस रही है जिंदगी,
रास्ते हैं कई फिर क्यों, तूफान समझ बैठी है जिंदगी,
सांसें माथे पर पसीने की शिकन से लड़ियां बिछा रही,
रूठूं कल से फिर क्यों, हैरान समझ बैठी है जिंदगी,
पूछो उनसे जो हर सुबह उठ कर भी उठ नहीं पाते,
ठहरा है जहां और, आसमान समझ बैठी है जिंदगी,
एक प्रेम कथा पढ़ी हो या दोस्ती की गाथा लिखी हो,
जो चुप है तो क्या, बईमान समझ बैठी है जिंदगी,
जो बारिश का डर है तो धूप में भी छांव है जिंदगी,
एक पल भी हंसे जो लगेगा फिर, मुस्कान समझ बैठी है जिंदगी!
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