तुमने मोहब्बत को इतनी दिलकशी से पेश किया है ना
की अब मुझसे मोहब्बत छुटाए नहीं छूटती।-
बोलो जिंदगी के लिए लड़ोगे ना
खुद के खातिर इतना तो करोंगे ना
मुस्कराहट को हमेशा कायम रखोगे।
तुम इतने मजबूत बनोगे ना।
बोलो जिंदगी के लिए लड़ोगे ना
हिम्मत का दीप जलाओंगे
जिंदगी में उजाला करोंगे ना।
इतना साहस तुम भरोगे ना।
बोलो जिंदगी के लिए लड़ोगे ना
इस लड़ाई से तुम नही डरोगे
सफलता हासिल करोगे ना
सफलता हासिल करोगे ना ।।
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तू फरेबी है और हां बात से मुकरा भी।
पर मैं... क्यूं कहूं बेवफा तुझको
सुना देती हूं तेरी अच्छाइयों के किस्से पूछने वालों को,
यार मैं... क्यूं कहूं बुरा तुझको
तुने ना तो बिछड़ने का बोला,
ना ही छोड़ा मुझको...
तुने तो ना भी ठीक से ना बोला मुझको।
बिछड़ने के बाद तूने मेरा हाल भी ना पूछना चाहा
तू मुझको भूल गया हैं
कुछ हद तक ऐसा लगा मुझको...
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इक तेरी याद ही है,जो मुझको याद आना नहीं चाहती,
वरना ये लड़की तुमको भुलाना नहीं चाहती।
हर रोज लिख रही ये खत तुम्हारे नाम,
वो बात अलग है कि वो भिजवाना नहीं चाहती।-
क्या कहां तुमने,
सारी तस्वीरें मिटा दूंगा तुम्हारी
मैं पूछना चाहूंगी तुमसे
वो दिन कहां गए जब सुबह शाम तुम्हें
तस्वीर मांगने का बुखार चढ़ता था।
जब तुम्हारा अधर मेरी तस्वीर की
हर बारीकी को चूमता था।
तुम्हारी नाराजगी भी अक्सर
इसी बात पे होती थी।
तस्वीरों को मिल्कियत कहने की
बीमारी जो तुमको हो गई थी।
वो अल्फाज कहां गुम हो गए..?
धुंधली ही क्यों ना हों ,
तुम्हारी तस्वीर नि मिटा पाता।
आज अचानक,क्या कहां तुमने
की सारी तस्वीरें मिटा दूंगा तुम्हारी
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तुम कब तलक यूं आंसू बहाया करोगी।
मोहतरमा.. जो गया है वो तुम्हारा था ही नहीं ।।
दो हफ्तों में तुमने आंखों को दरिया बना दी।
समंदर तुमसे अब पराया नहीं।।-
तुम्हारे लिए तुम ही काफी हों।
तुम क्यों किसी की राह तकती हों।
बेवजह ही इतना थकती हों।
तुम आजमाओ ना अपनी सारी ख्वाहिशों को।
लिख दो वो ख्वाब ,उन वादियों को।
निकल जाओ कहीं दूर खुद का हाथ थामकर।
कर लो ना आज जिद, ये अहसास मानकर।
आज गर तुम रुक गई फिर सोचना भी मत की माफी हो।
निकल जाओ ना यार...
तुम्हारे लिए तुम ही काफी हों।
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दिल लगाया था उसने मुझसे,
ये भी तो एक वादा था।
इक पल में सब कुछ छोड़ गया
ये कैसा इरादा था-