गीरिती छतों से महल बना लेना
एक मिट्टी में दो देश बना लेना
जरूरत हो तो नक्सों में दरार लगा लेना ।-
जब से लगा प्राइम बला तमाचा
तब से yq बिना चीनी चाई के तरह
तब ना था प्राइम बला तमाशा
चलती थी बेहेती थी गंगा की तरह
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तब तो तुम्हे शहर भा गया था ना
अब ये गांव अपना हो गया क्या
चुप रेहेना भी अदाकारी हो गया था ना
अब ज्यादा बोल ना पड़ गया क्या
पिछली बार गांव साथ गया था ना
अब तक बादे पूरा हो गया क्या
पिछले पांच साल तो आम हो गया था ना
फिर खाश केस ओह, चुनाव आ गया क्या ।
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पता नहीं क्या किस्मत रही
हमेशा हमारे हिस्से धूप ही आई
ना रहस्य ना खुले किताब
हमेशा हमारे हिस्से कल्पना आई
ना दस्तक ना मुलाकात
हमेशा हमारे हिस्से उम्मीद आई
ना बेरुखी रहा ना यकीन
हमेशा हमारे हिस्से ............-
तुम बाजार घूमने आए
में हालातों को साथ ले आया
तुम खिलौने लेने आए
में भुका पेट ले आया
अपने झूठे वादे लेके आए
में वोटर कार्ड ना लाया ।
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पूरा आसमान तो मेरा है मगर
डोर किसी के हात में
ठाठ मेरा परिदों में मगर
उड़ता कुछी ही दूर में
उचे हबाओ में लिपटा में मगर
मेरे धागे धूल मिट्टी में
बना हूं में साधे कागज से मगर
मांजा लाल हातो में-
हां यह सच है चेहरे से
कहा हकीकत नजर आती है
मजदूर को देखो मजभुरी में
मुस्कान भी झूठी हो जाती है
महिला हो या पुरुष
मजदूर हो या प्रबाशी
सख्सियत कोई भी हो
मजबूरी की मुस्कान
तकलीफ तो दे जाती है ।-
हमारी नीद भला कब हमारे हात में था
2020 हो या 2021 हमारे हात में तो बस मच्छर ही था ।
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देखो न चला गया
राही बन कर
वक्त जो पिछले साल का
जो अपना हुआ करता था
देखो ना उड़ गया
मिट्टी बनकर
बजुद जो मेरा गुरूर का
जो फोलाद हुआ करता था
देखो ना बित गया
रेत बन कर
उज्जाला दिन का
जो सूरज का तेज हुआ करता था
अब क्या खाक देखोगे जब चला गया ।।
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बेबजा बारिश की कमाल
खेत का हाल बेहाल ।
किसान की बेबसी
सियासती पहेचान ना पाए ।
भूल से भी कोई
खेत देख ना आए ।
बो किसान ही कोई
जिशे किस्मत भी हरा ना पाए ।
अगर हो तुम किसान कोई
किस्मत हो या सरकार एक बगावत हो जाए ।-