कोई पूछा क्यों शहर छोड़ के गांव जाते हों
क्या मालूम परिंदे भी रात को घर लौट जाते है
बिछड़ के उनसे से ठंडी रातों में किधर जाते हों
चुप चाप अपने बिस्तर को जाते है
क्या अब भी दुरिया मापने जाते हों
ना जी ना, चुप चाप सो जाते है
क्या बीते बातों पे लोट जाते हो
हां जी हां, पर चुप चाप सो जाते है
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