तुम्हारे आँखों का नूर देखूँ
की तुम्हारे ओठों का सुर्ख देखूँ
या मैं देख लूँ तुम्हारे कानों की झुमके
तुम्हारे बालों की लपटे देखूँ
की तुम्हारे बिंदी का रंग देखूँ
या मैं देख लूँ तुम्हारे चेहरे का तेज
तुम्हारे कपड़ो का परिधान देखूँ
की तुम्हारे रूप का श्रृंगार देखूँ
या मैं देख लूँ तुम्हारे हाथों की मेहंदी
तुम्हारे आँखों का काजल देखूँ
की तुम्हारे गर्दन का तिल देखूँ
या मैं देखूँ तुम्हारे दिल मे मेरा प्रेम-
Fb- Basu Gupta
अवतरण दिवस🎂- 20 Nov 2002
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आदत रहता लिखने का, तो छोड़ देत... read more
What is the common mistake that aspirants make in the Neet Journey??
(1) Underestimation of this Examination and
(2) Not knowing the meaning of competition.-
तेरे बाद ना जाने हम किधर गए
तुमसे जो बिछड़े तो बिखर गए
तुमसे मोहब्बत बेहपनाह थी की हमने
प्यार के सवाल पर, पहली बार मुकर गए
इश्क़ की बात पर तुम फिर याद आई
लेकिन उस रात के बात से हम डर गए
मंजिल भी अब सबब मांग रही जुदाई का
बासु को छोड़ो, वो तुम्हारे प्यार में मर गए-
हां मैं उससे प्यार नहीं करता, बिन झगड़े उससे बात नही होता
वो किसी और की हो गई, क्यूंकि उसके दिलों में मैं नहीं होता
सोचता हूं, जाऊं समझाऊं, की प्यार इस क़दर खत्म नहीं होता
लेकिन उसके पास किसी और को देख हिम्मत ही नहीं होता
अंधेरी रात को, अब उनसे हमारी प्यार भरी दो बातें नहीं होती
रातें कट जाती है उनकी, मेरी अकेलें रातों का हिसाब नही होता
भूल चुकी है वो.. मेरा प्यार, बात और साथ में बिताई वो रात
प्यार था, तो खत्म होना ही था, प्रेम होता तो ऐसा नही होता-
आपने जो पढ़ाया था,
वो कहां काम आता है
जब फिसल जाता हूं,
बस वहां काम आता है-
तेरे करीब आऊंगा तो, तेरे बदन पर दाग़ हो जायेगा
तेरे मोम जिस्म को मेरा छूना, जैसे आग हो जायेगा
कितनों को बंजर कर, कुछ सोच कर आया था तेरे पास
कहाँ पता था तेरा किसी और के साथ रातें बाग़ हो जायेगा— % &-
मैं जब भी गुजरता हूं उनकी गलियों से
वो दरवाजे पे खड़ी तैयार नजर आतें है
जाने कहां कहां इश्क बांटते फिरती है
हर गली में उसके हिस्सेदार नजर आतें है
अपनी आँखे इधर भी घुमा लिया करो
तुम्हारे घर से अब हम भी नजर आतें है
क्या मुझसे प्यार कर पाएगी वो लड़की
जिसके बाप को हम बेकार नजर आतें है-
आज राखी के दिन बहना, तुम मुझे बहुत याद आ रही
सोच रहा तुम्हारे साथ बिताये पल लिख दुं सही
आज भी बिन-कहे सारी बातें, तुमसे कहे जा रहा हूं
तुमसे प्यार कितना है, मैं आज भी नही बता रहा हूं
माँ-बाप के बाद सबसे ज्यादा, तुम मेरा ख़्याल रखती हो
उम्र में छोटी हो, परन्तु हमेशा एक माँ का फ़र्ज निभाती हो
बात-बात पर तुमको अक्सर डांट कर बोल देता हूं
परन्तु उस डांट को भी अपना आशीर्वाद समझ लेती हो
तुम्हारी हर छोटी सी गलतियों का बखूबी ध्यान रखता हुं
लेकिन मेरी हर गलतियों पर तुम कैसे ख़ामोश रह जाती हो
तुमसे हम भाई वाले झग़डे या बतकही नही कर पाता हूं
क्योंकि भाई बहन के रिश्ते को, मैं एक सम्मान समझता हूं
शायद इसी व्यवहार से, तुम हमे अपना आदर्श मानती हो
मेरे द्वारा प्रत्येक सीख को, अपना अमृत ज्ञान समझती हो
इस जीवन मे, मेरा आशीर्वाद सदैव तुम्हारे साथ रहेगा
प्रिय बहन! यह भाई तुम्हारा, हमेशा संसार से रक्षा करेगा-
वस्त्र उतारी थी जिसने, अपने शौहर के लिए
आज वह निकल गया, शहर सौतन के लिए
उसने भी सपनें सँजोये थे, अपने घर के लिए
बोली कुछ बांध लीजिये खाना सफर के लिए
जाने कौन क्रीम लगाती, अपने बदन के लिए
मचल जाते लोग, उसका जिस्म छूने के लिए
वह बचा रखी थी इज्ज़त, अपने मर्द के लिए
मर्द ने ही लूट-छोड़ दिया, किसी गैर के लिए
पता नही कौन सा, इत्र लगाती बदन के लिए
हर कोई सूंघना चाहता, रात के सफर के लिए-
अपने बॉयफ्रेंड का राज़ छुपा,
हमे बदनाम कर दिया।।
खुद को सावित्री दिखा,
हमे गोपियों का कृष्ण बता दिया।।-