शब्दों को पिरोने की कोशिश में,
कुछ लफ़्ज़ छूट जाते हैं।
लफ़्ज़ों की खोज में निकले तो,
अल्फ़ाज़ रूठ जाते हैं।
अल्फ़ाज़ को मनाते-मनाते,
शब्दों की माला हाथ से बिखर जाती है।
ये सिलसिला यूँ ही चलता रहता है,
और कुछ पाने की होड़ में,
बहुत कुछ पीछे छूट जाता है।-
खुद का वजूद ढूंढ रहा।
इंतजार तो वेशक,
अब भी करतें रहते हैं
बस दिखाना छोड़ दिया है,
प्यार तो अब भी बेइंतेहा करतें हैं
बस जताना छोड़ दिया है,
तकिया तो अब भी भिगोते हैं
बस बताना छोड़ दिया है।।
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मील जाए औरों से फुर्सत तो,
ज़रा सोचना क्या सिर्फ़।
फुर्सतों में याद करने तक का
ही रिश्ता है हमसे !!!-
मैं तुझे फिर मिलूंगा
कब कहां पता नहीं
शायद तेरी ख्यालो में
यादे बनकर
तेरे ज्हन में
एक रहस्यमई लकीर बन कर
चुपचाप तुझे देखता रहूंगा
मैं तुझे फिर मिलूंगा
कब कहां पता नहीं
या सूरज की किरणें बन कर
तेरे ज्हन में खुल जाऊंगा
या हवा बनकर एहसास दिलाउगा
मेरे होने का
पता नहीं कब कहां
पर तुझे जरूर मिलूंगा
पानी की बूंद बंद कर
तेरे बदन से लिपट जाऊंगा
और एक शितल एहसास बनकर
तुझे अपने सीने से लगाउगा
मुझे और तो कुछ नहीं पता
पर इतना पता है
वक्त जो भी करेगा
मेरा जीवन तेरे साथ चलेगा-
जिंदगी में जिंदगी रही तो जिंदा रहा
ना तू मिला सुकून मिला तो जिंदा रहा...-
जिससे बात-चित करके
मुकम्मल मेरी नींद होती थी।
जाने कहा वो मेरा मन मीत गया
वो एक चेहरा आँखो से ओझल ना
हुआ पल भर के लिए भी
कहने को तो यारों पूरा साल बीत गया।-
दूर कहीं एक आशियाना बनाओ
सिर्फ तुझे ही रास्ता बताओ
उसने चलकर,आशियाने को सजाओ
तुझे अपने सीने से लगाए
अपने ख्वाबों को बसाऊं-
लोग शादी के रस्मो मे,
सात जन्मो तक साथ,
निभाने का वादा कर तोड़ देते हैं।
मगर में एक ही जन्म साथ रहूंगा
और सातो जन्मो का प्यार दूँगा....।-
एक छोटी सी जिन्दगीं है,
उसमें भी हर सक्स उदास रहता हैं।
काश...
कोई ऐसा भी होता,
जो कहता...
जीना ही है, तो खुशी और प्यार से
अपनों के साथ जिया जाए।
वैसे भी,
आज-कल का मंजर भी तो ऐसा ही है
कि कब कौन किस से बिछड जाएँ किसी को पता नहीं है ।-
जिंदगी का एक ही उसुल राखो
मुसिबत चाहे कितनी भी हो
हमेशा चेहरे पर मुस्कान राखो ।-