उस दिन से प्रार्थना करना छोड़ दिया,
जिस दिन से उसके सुने जाने का यकीं हो गया।
मैंने हमेशा गलत चीज़े मांगी.
जो उसने ख़ुद से दिया,
बस वही सही था।-
घर आँगन
में ढूंढा,
चौक चौबारे
पर ढूंढा,
खेत खलिहान
समतल मैदान
निर्जन पठारों
पर ढूंढा,
पहाड़ो पर चढ़ के
बादलो के उस पार
जाके देखा,
तुम नहीं मिली।
सब्र के बादल आँखों के ताल में फूट गए।
फिर तुम...
आंसुओ में मिली,
इंतज़ार में मिली,
दिल के संताप में
मन के हताश में
मिल जाने के विश्वास में
मिली,
तुम मुझमे सिमटी,
मुझमे व्याप्त मिली।
~ Basannt Raj Singh ~-
माँ अपने संतान की दोस्त फिर भी बन जाती है, लेकिन पिता अपने संतान के कभी अच्छे दोस्त नहीं बन पाते है. वो कोशिश ज़रूर करते है, लेकिन दोस्त बनते बनते भी थोड़ा सा पिता रह ही जाते हैं. यही कारण है कि संताने, पिता को अपने अनुसार या अपनी माँ के अनुसार समझती है,कोई भी पिता को पिता के अनुसार नहीं समझ पाता.
- Basannt Raj Singh
#unpostedletters-
Creativity is allowing urself to make mistakes.
Art is knowing which ones to keep
– Scot adams-
Imagination amplify the emotions exponentially, whether
fear/phobia or faith.
as soon as we encounter them,we got to know their existence is very tiny and does not matter in reality.
Be Real.....Catch the Reality 🤘-
जैसे,
तुम्हारा क़रीबी होने की कोई कोशिशें कामयाब न हुई,
वैसे,
अब दूर होने की तमाम कोशिशें भी नाकामयाब है।
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चाहे जितना कमाऊ,सारे खर्चो के बाद ख़ुद के लिये उतना ही पैसा बचता है,जितना पापा से आखिरी जेब खर्च मिला था।
तब वो अमीरी थी, बिना काम किये नसीब थी।
अब वो बचत है,जो महीना के मेहनत से जुटती है।-
दोस्त,
संभाल लेते है
थाम लेते है
गिर भी गए
तो टांग लेते है;
दोस्त,
समझ जाते है
बूझ जाते है
मालूम न पड़ पाये
तो
पूछ जाते है;
दोस्त,
आईना होते है
अक्स होते है
रौशनी गुल हो
तो
रू-ब-रू होते है;
दोस्त,
जान होते है
अभिमान होते है
रिश्ते साथ छोड़ दे
तो
पहचान होते है।-