घर आँगन
में ढूंढा,
चौक चौबारे
पर ढूंढा,
खेत खलिहान
समतल मैदान
निर्जन पठारों
पर ढूंढा,
पहाड़ो पर चढ़ के
बादलो के उस पार
जाके देखा,
तुम नहीं मिली।
सब्र के बादल आँखों के ताल में फूट गए।
फिर तुम...
आंसुओ में मिली,
इंतज़ार में मिली,
दिल के संताप में
मन के हताश में
मिल जाने के विश्वास में
मिली,
तुम मुझमे सिमटी,
मुझमे व्याप्त मिली।
~ Basannt Raj Singh ~
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