दिल की ख़ामोशी का मंज़र,
फिर कोई नया रंग लाएगी।
कोई टूट कर चाहने वाली होंगी जब,
दिल भी अपने तराने गाएगी।।
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हजारों फूल हैं चमन में
पर, निग़ाह उस एक पर गड़ी हैं।
दिल पर अब मेरा जोड़ नहीं,
आज पाने को उसे ज़िद पर अड़ी हैं।।-
दूर कहीं बाग में खिली, मेरे नजरों में आ गयी।
देखते-देखते वो फूल, मेरे नैनों को भा गयी।।❤️-
चंद लब्जों में ना कर पाएं बयाँ
हम अपने प्यार की दास्ताँ
कहना था कुछ उन्हें, कुछ हमें
नैनों से बात हुई, कुछ रह गए अनकहे
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कर रही वो वर्षों से इंतजार
उस नाजनी को देखू जरा_सा
मेरे दिल का वो खिलता गुलाब
उसे छू लू मैं जरा_सा
इस पल में हैं प्यार
पल को जी लू जरा_सा
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लगाई कैसी अगन तेरे प्यार ने
मिलने तुझे शहर को छान मारा
पता जो तेरा मालूम ना था
हर गली- गली में नाम पुकारा-
ईस क़दर इश्क़ में भर रहा हूँ मैं आहें
कल देखा जाते उसे, पकड़े रक़ीब की बाहें-
दिल के दरख़्तों को इस क़दर लगी प्यास हैं
बेताब दिल को तुमसी रहबर की आस हैं
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अरसों बाद आसमां, देख रहा जमीं को
क्या वो पढ़ पाएगी, मेरे आँखों की नमी को...-
बहक जाऊँ इश्क़ में, तो सजा क्या हैं..
अब कह भी दे, तेरी रज़ा क्या हैं..❤️
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