जलते बुझते
चलते संभलते
हर वक़्त हर पल यूंही ...
नजाने कौनसा वो एक सुकून दौर था
दिल ने तुम्हे तस्लीम करली
रोशन जिंदगी का सबब बन गई
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P.S. my work,lines,poems,contents should not be copie... read more
शक्ति का बास हो
संकोटों का नाश हो
हर घर में सुख का निवास हो
नवरात्रि का पर्ब सबके लिए खास हो-
मैं बेटी हूं आँगन की खुशबू हूँ
नाज़ुक हूँ पर निर्बल नहीं हूँ
मैं बेटी हूं बाबा माँ की मान हूँ
ना मानो मेहमान मुझे ना बोझ हूं
मैं बेटी हूं लहर की हलचल हूँ
सिंदूरी आसमां हूं पर सरम नहीं हूं
मैं बेटी हूं ख्याबों की उड़ान हूँ
सागर की मोती हूँ पर सजावट नहीं हूं
मैं बेटी हूं जीवन ज्योत हूं
दो कुल का अभिमान हूं पर अज्ञान नहीं हूं
मैं बेटी हूं पुण्य का आधार हूं
आनेवाला काल हूं पर आजाद नहीं हूं
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स्वयं के साथ और मानस मे राम रहे
स्वयं को समझा तो कंठ पावन हुए
स्वयं से प्यार हुआ हृदय मे बस गए
स्वयं से परे कण-कण मे मिल गए
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धुआँ धुआँ सा था मंज़िल .......
एक एक कदम बढाते गए
नजर और नजारें चमक ते गए
थकान ना रुकावट साथ चले कोई
बस एक जूनून को पारस बनाते गए
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द्वेष द्वन्द और द्विधा
दिमाग मे न होते तो
जिंदगी सुकून से भरा होता ...
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ना मिलना ना बिछड़ना
ना बातें ना वादे
इक लम्बा सफ़र मे चलता रहा
और तजुर्बे तमाम मिले ..
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सृष्टि से सुरु धरा मे लीन
आकाश के और पर धराके अधीन
बसंत सी पवन लहराए परचम
बकुल की महक से पाबन गगन
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किताब -ए- इश्क़ में हर आह एक आयत है
ना जाने वो दर्द-ए-एहसास की गहराई क्या है...
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आप की नज़र उतारू
या आप के दिल मे उतर जाऊं
फिर सोच ते रहे...
दिल नज़र पर अगर नज़र रखते
प्यार का हादसा नहीं होता
Barnali patnaik
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