Banwari Kumawat   (बनवारी लाल कुमावत)
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छोटा-सा लेखक बनवारी लाल कुमावत
Joined 9 September 2019


छोटा-सा लेखक बनवारी लाल कुमावत
Joined 9 September 2019
13 JAN AT 9:11

अपनी अपनी इज्ज़त बचाने मेें लगे है सब
अपनी बहन को छोड़कर ताकते मेें लगे है सब

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24 DEC 2024 AT 7:13

वो कब से कह रहा था..।।
में वही था रूका..।।
में उसके सामने था झुका..।।
फिर वो जा चुका था..।।

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14 NOV 2024 AT 5:23

हमें तो भरोसा था तुम्हारी आंखो पर..।।
वो भी आज भर आई आंखे मिलने पर..।।

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8 SEP 2024 AT 5:56

एक रण नाम में...
एक रण जीवन में...
एक किरण के कितने रण..
बताए कैसे ये सब किरण..
किनारे मिले फुर्सत मिले...
तो सहारा बना ले किरण..
एक शाम मेें कई शाम ढल गई..
एक सुबह कि नई किरण लाने मेें..
सुबह-शाम के बिच का ठहराव है..
किरण होना भी रण का काम है..
ओठ के बादल में छुप नही सकती..
अपने नाम फिछे से हट नही सकती..
मातृत्व की भूमिका लिए है मेरी माँ..

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23 FEB 2024 AT 1:37

अब उसकी ख्वाहिशों में दबकीस रहती है..।।
घर को छोड़कर वो ससुराल मेें रहती है..।।

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6 FEB 2023 AT 11:49

मोहब्बत की जुगलबन्दी छोड़कर..।।
वो युगल हो गए..।।

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2 FEB 2023 AT 13:28

जो सुबह शाम है वो ही तो तेरे नाम है।।
बाकी दोपहर की छाँव सी तेरी बाते है।।

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18 JAN 2023 AT 2:29

सर्दी तेरी क्या है ये मर्जी..।।
रजाई में भी आकर बरसी..।।

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18 JAN 2023 AT 2:02

मोहब्बत की कसम भी कितनी कसम लेती ।।
एक ही दिल पर जख्म पर कई वार लेती है..।।

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14 JAN 2023 AT 7:32

टूटे अरमानो मेें एहसास भी बोझ लगता है..।।
दिवार पर उसका चेहरा है भी खामोश लगता है..।।

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