17 MAY 2018 AT 23:15

इस रात के मुसाफिर को दिल में पनाह दे दो,
कब तक भटकूँ बे-मंज़िल कोई तो राह दे दो,
बे-ख़ौफ़ होकर हम बहुत जी लिए मेरे साहिब,
तुझे खोने के डर से जो भरे वो ठंडी आह दे दो।।

- Bansari rathod 'ईश'