इस रात के मुसाफिर को दिल में पनाह दे दो,कब तक भटकूँ बे-मंज़िल कोई तो राह दे दो,बे-ख़ौफ़ होकर हम बहुत जी लिए मेरे साहिब,तुझे खोने के डर से जो भरे वो ठंडी आह दे दो।। - Bansari rathod 'ईश'
इस रात के मुसाफिर को दिल में पनाह दे दो,कब तक भटकूँ बे-मंज़िल कोई तो राह दे दो,बे-ख़ौफ़ होकर हम बहुत जी लिए मेरे साहिब,तुझे खोने के डर से जो भरे वो ठंडी आह दे दो।।
- Bansari rathod 'ईश'