अगर हो मेरी कहानियां पूरीतो तुम्हे अपनी नज़्म ऐ किताब दूंपढ़ सको ये तुम बिना आंसू बहाए तो कहनाफिर सोचू समझू तुम्हे एक खिताब दूं - Balwant shah 'तन्हा'
अगर हो मेरी कहानियां पूरीतो तुम्हे अपनी नज़्म ऐ किताब दूंपढ़ सको ये तुम बिना आंसू बहाए तो कहनाफिर सोचू समझू तुम्हे एक खिताब दूं
- Balwant shah 'तन्हा'