Balwant Shah   (Balwant shah 'तन्हा')
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Joined 7 October 2017


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Joined 7 October 2017
7 APR AT 9:39

मैंने अश्कों का समंदर देखा है
चारो ओर लाशों का मंजर देखा है
मुंह फेरते देखा है अपनों को
सबके हाथों में खंजर देखा है

मिट्टी(शरीर) को मिट्टी में मिलते
कई जिस्म लहू में तर देखा है
और देखा है यादों को धूमिल होते
हां! रूह को होते जर्जर देखा है

मुझको हंसता देख यही समझो
मैंने हालात बद से बद्तर देखा है
यह जीवन पोषक तत्व है जैसे
मृत्यु को इस पर निर्भर देखा है

हर शख्स निकला है ढूंढने खुद को
खुद से मिलने को तत्पर देखा है
कितना ही बदला ठोर ठिकाना
'तन्हा' को फिरते दर - दर देखा है

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2 APR AT 21:04

कभी सुबह, कभी रात

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2 APR AT 21:02

हां! मुश्किल डगर है
बस जुनून रख जिंदा
फिर काहे का डर है

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2 APR AT 21:00

अगर टूटे तो खो देते है
लोग खास
एक आस
फिर सांस

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2 APR AT 20:58

Is a blunder between two mind to destroy the bond of understanding.

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2 APR AT 20:48

जब तलक दिल में उतर नहीं जाता
किसी को भी प्यार नजर नहीं आता

फरेबी दिल्लगी करते है शौक से
हमे दिल्लगी का ये हुनर नहीं आता

वक्त हो ,परिंदा हो या कोई शख्स हो
जो दूर गया वो लौटकर नहीं आता

यूं तो फिरता है तमाम शहर कूचे वो
मसला क्या है? मेरे शहर नहीं आता

जहां समा जाए तन्हाइयों संग 'तन्हा'
क्यों इसके रस्ते ऐसा समंदर नहीं आता

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30 MAR AT 10:53

की मैं सोचता क्या हूं
मैं संवरता भी नहीं तो
आईना देखता क्या हूं

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25 MAR AT 10:20

इश्क निभाया जाता है

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24 MAR AT 8:57

तुम्हें, तुमसे ही चुराने की कोशिश की है
प्यासे की प्यास बुझाने की कोशिश की है

कोशिश की है एक ख्वाब संग सजाने की मैंने
या कहूं दुनियां को पाने की कोशिश की है

मैं बरसो से बना भंवरा फूल पर पागल था
एक फूल को ताउम्र रिझाने की कोशिश की है

न करूं ये मोहब्बत वोहब्बत,फिजूल की बातें
जमाने ने लाख मुझे समझाने की कोशिश की है

खत, तस्वीरें और कुछ निशानियां राख हो गई
दिल में किसी ने आग लगाने की कोशिश की है

ताउम्र वो शख्स उतना ही याद आया 'तन्हा'
जितना ही उसे भुलाने की कोशिश की है

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23 MAR AT 13:24

जब जीना मोहब्बत में हो गया मुश्किल हो💔
तब कागजों के टुकड़ों पर टुकड़ों में दिल हो

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