balvir shekhar   (~Balवीर शेkhar)
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मैंने कब कहा कि कोई नहीं है साथ मेरे
ये तन्हाई कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ती!
Joined 23 January 2019


मैंने कब कहा कि कोई नहीं है साथ मेरे
ये तन्हाई कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ती!
Joined 23 January 2019
19 NOV 2022 AT 17:09

हर वो चीज जो चमकती है,आंखों सी लगने लगती है
ये वो उम्र है जब घर की खिड़कियां भी सलाखों सी लगने लगती है

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8 MAY 2022 AT 13:45

हमारे सब गम अब ठिकाने लग गए हैं
हम अपने दुख को गुनगुनाने लग गए हैं

चलाए थे अंदाजन मैंने कुछ तीर वहां पर
ताज्जुब ये है कि सब निशाने लग गए हैं

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4 APR 2022 AT 8:39

हो किनारे पर या फिर पानी में उतरकर अच्छी लगती है
जुल्फें खुली हों या फिर हों बिखरकर अच्छी लगती है
उसकी हर अदा ही है कातिलाना बस इतना समझ लो
वो आए ऐसे ही या फिर सज-संवरकर अच्छी लगती है

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23 MAR 2022 AT 6:57

हर ऐरे-गैरे को मुस्तकबिल समझ बैठा
वो पत्थर दिल नहीं तु पत्थर को दिल समझ बैठा

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14 FEB 2022 AT 8:16

जो न आ सका तेरे किसी काम इससे बड़ा क्या ग़म होगा
ऐ मिट्टी, तेरे इश्क़ में तो ख़ाक होना भी कम होगा

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9 FEB 2022 AT 18:54

तमाम उम्र ढूंढता रहा खामियां औरों में
इस तरह गुमराह किया मैंने खुद को तमाम उम्र।

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11 JAN 2022 AT 17:15

वक्त ने जिसे तराशा नयाब वही हीरा है
वगरना घड़े की कीमत तो सभी जानते यहां

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7 JAN 2022 AT 17:23

परेशानियों से परेशान
होकर परेशानियों को छोड़ देने से
परेशानियां कम कहां होतीं हैं
बल्कि परेशानियां,‌ परेशान करने हेतु
प्रबल रूप लेकर परेशान व्यक्ति को
और भी परेशान करने आ जातीं हैं

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31 DEC 2021 AT 15:59

मुझमें इस तरह आज भी वो जिंदा है
रात गुजरती है ख्वाबों में, दिन उसे याद करके

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26 DEC 2021 AT 16:59

मशवरा क्या लेना किसी से सफर-ए-इश्क में
ये वो तजुर्बा है जो तजुर्बे से होता है।

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