थक सा गया हु ,समझ नही आता क्या करु, फिर भी एक उम्मीद लिए बैठा हूं कोई नही हैं यहां अपना फिर भी अपना मान कर बैठा हूं काश कोई समझता मुझे मैं कितना अकेला होकर बैठा हूं जिंदगी ने हर मोड़ पर रूलाया हैं अब जिन्दगी को खतम करने के लिए बैठा हूं थक सा गया हु मैं.....