थक सा गया हु ,समझ नही आता क्या करु,
फिर भी एक उम्मीद लिए बैठा हूं
कोई नही हैं यहां अपना फिर भी अपना मान कर बैठा हूं
काश कोई समझता मुझे मैं कितना अकेला होकर बैठा हूं जिंदगी ने हर मोड़ पर रूलाया हैं
अब जिन्दगी को खतम करने के लिए बैठा हूं
थक सा गया हु मैं.....
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IIHT Varanasi
पलट कर जबाब देना बेशक
गलत बाक् हैं
परन्तु सुनते रहे तो लोग
बोलने की हदे भूल जाते हैं-
आदत सी हो गयी हैं
वक्त काटने कि
अब हिम्मत नहीं होती
किसी को अपना दर्द बाटने की l-
जिन बातों का जबाब किताबे नहीं दे पाती
जिंदगी वो सबक खूब सिखाती हैं l-
अब मत खोलना मेरी जिंदगी
कि पुरानी किताबों को
जो था मैं ओ रहा नही
जो हूं वो किसी को पता नहीं ।-
अब ना करेंगे तुमसे
कोई भी सवाल
माफ़ करना यार
काफ़ी हाकी जताने लगे थे
तुम पर यार।-
मंजिल देर से मिलेगी ही सही,
हारा तो सिर्फ वह हैं,
जो घर से निकला ही नही हैं।-
बहुत शौक़ था
दूसरों को खुश करने का
होश तब आया
जब ख़ुद को अकेला पाया
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बूंद - बूंद भरता हैं घड़ा
नदी - नदी बनता सागर
लम्हा - लम्हा बनती यादें
दोस्त - दोस्त बनता हैं जीवन.......-
जब आसमान में सितारा नज़र आता हैं,......
रोशनी और उम्मीद का सहारा नजर आता हैं............-