baluni neha   (baluni neha)
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फनकारों की जमात में एक नई सी शायरा
Joined 18 May 2020


फनकारों की जमात में एक नई सी शायरा
Joined 18 May 2020
14 MAR AT 21:12

स्त्री के भीतर का खौलता इतिहास
पा लेना चाहता है पुरुष की सौम्य थपकीयों को
स्त्रीयों में सबकुछ छुपा कर सहते रहने की अद्भुत शक्ति विद्यमान है
ये छुपाना जो जाहिर होना था, स्त्रीयों के मन्हस्थल को खोखला कर खुरदुरा कर चुका है
इसके सौम्य होने की एकमात्र शर्त है
पुरुष का निरंतर आलिंगन

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21 JAN AT 14:20

मेरा अपने अस्तित्व के साथ सम्भोग हो चुका है,
मैंने अपने अस्तित्व को प्रेमी बना कर संभोग के नए आयाम चुमें
मैंने चीखें मार कर अपना संतोष भी जताया
पर मेरा अस्तित्व ये मानने से इंकार करता है की मेरी अभिलाषाओं को उसने एक इंसानी जन्म में तृप्त कर दिया।
मेरे अस्तित्व ने संभोग के दौरान होने वाली तृप्ति की एक झलक माँगी ताकी वो भरोसा कर सके,
मेरी स्मृति में उन सारे पलों की यादें धूमिल थीं।
मैं सच-झूठ, झूठ-सच के बीच का फर्क बताने में असमर्थ थीं।
मैंने पाया ये एक स्वप्न सा है, साकार नहीं,
साकार हो भी कैसे, मैं बस एक चित्त-भाव में लिपटी ऊर्जा मात्र हूँ,
और मेरा अस्तित्व पराकाष्ठा है मेरे संभोग की इच्छाओं का, जिसको अब दृष्टान्त है मेरे संभोग की अभिलाषा।

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22 OCT 2023 AT 21:58


शहर बदलते हैं ,
पिनकोड बदलते हैं,
बदलता नहीं जुनून-ए-'इश्क़
सर पर सवार, ये खुमार
इश्क का मसला, हजारों सवाल।
उसका आना, जिस्म थर्राना
अधूरी सी खुशियाँ, बेपनाह प्यार ।
दिल बहलाना, इश्क छुपाना
पेशानी पे मेरी नयी धुन सवार ।
बताना, जताना, छुपाना, दिखाना,
कातिलाना ये दिलों के बवाल।
मिलना, बिछड़ना, रूठना, मनाना ,
हुस्न की नुमाइश,
जिस्म तार-तार।

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18 OCT 2023 AT 22:38


ज्ञान का बोझ उठाना
गौतम से बुद्ध हो जाना
गंगा में पाप बहाना
राख में विलीन हो जाना
मौत को मुस्कुराना
चिंतन गले लगाना
सिसकियों को दबाना
औंधे मुँह गिर जाना
किसी को अपना बनाना
बिलख के रह जाना
मुस्कराहट का आँसू हो जाना
खुशी का ढोंग रचाना
आत्मा अतृप्त रह जाना
दिल में तूफ़ान सजाना
अरमान कुचले जाना
सतयुग का कलयुग हो जाना

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29 SEP 2023 AT 20:57

मैं कल हो जाना चाहती हूँ,
बीता हुआ,
ठुकराया गुमशुदा सा।
वो कल जो कभी था पर आज नहीं है।
वो कल जो दो लोगों ने दो अलग-अलग तारीखों में जीया
वो कल जो बीता भी तो आपबीती बन गया,
वो कल जो उसका भी था, मेरा भी, पर हमारा नहीं।
वो कल जो आज की तलाश में ही रहा।
वो कल जो आया भी नहीं और बीत भी ना सका।
वो कल जो शायद आए भी तो बोझल हो,
वो कल जो शायद मेरे ख़्यालों में ही रहे;
आज भी और कल भी

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30 AUG 2023 AT 21:32

मैं कौन हूँ?
कौन का "क" या "न" या "क" के उपर की मात्रा?
या मैं एक संवेदना मात्र हूँ?
जिसका अस्तित्व उस कौन की तरह सम्भावनाओं में घिरा एक ही प्रश्न पूछता जा रहा है,
मैं कौन हूँ?

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21 AUG 2023 AT 23:16

मेरा आलिंगन अमर हो रहा है।
इस स्पर्श को पा लेने के बाद मेरे प्रेमी मुझसे छूट जातें हैं
हर उस नदी की तरह जो सिर्फ आगे बढ़ना जानती है।
क्या मेरा आलिंगन ही लोगों के आगे बढ़ने की प्रेरणा है?
या फिर मेरी तपिश है वो कारण,
जो मेरे प्रेमियों को मुझसे दुबारा लिपटने नहीं देती?
आजाद मैं कल भी थी और आज भी हूँ,
बिल्कुल अपने आलिंगन की तरह।

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2 JUL 2023 AT 22:59

प्रेमिकाएं कहानियाँ बनतीं हैं,
प्रेमी लेखक।
प्रेमिकाएं सहारा बनतीं हैं,
प्रेमी बेबस।
प्रेमीयों और प्रेमिकाओं से प्रेम निकाल भी दे तो
कामनाएँ बची रह जाती हैं,
पूरा होने को एक नये जन्म में।

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31 MAY 2023 AT 22:13

समर्पण का "स"
सर्कस में भी तो होता है
ये "स" एक से हैं या दो अलग अलग "स"
जैसे सब्र का "स",
जो समझौते के "स" से कही साहसी, सुलझा पर बड़ा बेबस है,
कुछ-कुछ मेरे आँसूओं जैसा
सब्र का बाँध इनका पानी ले रुका है बरसों से
ना ही बहता है ना सूखता ही है
बिल्कुल सब्र के "स" जैसे
साहसी पर बेबस।

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28 MAY 2023 AT 19:21

ये मेरी ब्लैक एंड व्हाइट जिंदगी
उम्मीदों का बोझ उठाते-उठाते व्हाइट से ब्लैक होती चली जा रही है
पर मैं खुश हूँ
और मेरी खुशी का रंग भी काला है।
काला जो ब्राह्मण का है।
काला जो काली का है।
काला जो इतना गहरा है की चाहो तो भी कोई और रंग चढ़ ना सके,
काला सम्पूर्ण है और मैं भी।

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