अब पहले जैसा कुछ न होगा, जब तक आप थे तब हर समय नया और विशेष था।
अब धीरे-धीरे सब समाप्त हो जायेगा, प्रेम,स्नेह,वात्सल्य,अपनत्त्व,संबंध।-
अब पहले जैसा कुछ न होगा, जब तक आप थे तब हर समय नया और विशेष था।
अब धीरे-धीरे सब समाप्त हो जायेगा, प्रेम,स्नेह,वात्सल्य,अपनत्त्व,संबंध।-
में किसी का सम्मान तब तक करता हूँ, जब तक वह मेरे आत्मसम्मान को ठेस न पहुँचाये ।
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आप कितने भी ओहदेदार के साथ फोटो खीचा ले.
जब पिचड् पड़ती है तो निपट ना खुद ही पड़ता है
"धनजंय श्रीवास्तव वरिष्ठ पत्रकार"-
हम खुद से भी खुल कर नही मिले अभी ।
और तुम कह रहे हो, तुम जानते हो हमें ।।-
हमनें पल-पल बदलते रिश्तों के साये देखे हैं ,
हमनें अपनों से बेहतर पराए देखें है ।-
काश ! मेरे पास भी चंदा मामा की जगह सरकारी नोकरी वाला मामा होता , में भी इन सब की आंखों का तारा होता ।
या दबदबा होता ! मेरे नाम का , तो न चाहते हुए मैं इन सब का सहारा होता ।-
लक्ष्मण सा भाई होना अगर किस्मत हैं ,
तो कुम्भकर्ण सा भाई होना सौभाग्य है ।-
ये सच है मुझे ये जीवन जितनी बार मिला होगा,
हर बार मुझे सिर्फ तेरा प्यार मिला होगा ।
भगवान करे ये जीवन जितनी बार मिले,
हर बार मुझे तेरा प्यार मिले।।-