Baldev Khurana  
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Joined 19 July 2018


Joined 19 July 2018
18 MAR 2021 AT 12:48



सबसे पहले मेरे घर काअंडे जैसा था आकार
तब मैं यही समझती थी बस
इतना-साही है संसार। फिर मेरा घर बना घोंसला सूखे तिनकों से तैयार तब मैं यही समझती थी बस इतना-सा ही है संसार।
फिर मैं निकल गई शाखों पर हरी-भरी थीं तब मैं यही समझती थी बस इतना-सा ही है संसार।
आखिर जब मैं आसमान में उड़ी दूर तक पंख पसार तभी समझ में मेरी आया बहुत बड़ा है यह संसार

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18 MAR 2021 AT 10:58

Because it is priceless and meets only once

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17 MAR 2021 AT 12:06

आहटें मिलीं तेरी मुझको
कल रात कई बार नीद से जगता ही रहा
चाहतों के झोंको का लेख बनकर तू
ह्र्दयपटल पर उभरता ही रहा

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17 MAR 2021 AT 8:11

बीवी संग तकरार में, हँसते रहो हजूर !
सुबह, दोपहर, शाम हो, बने रहो मजदूर

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17 MAR 2021 AT 7:54

कमरे से रख्खे बाहर, कितने मौसम एक साथ।
यादों वाली चाय भी है, बस नही है तो हाथों में तेरा हाथ...!

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17 MAR 2021 AT 7:53

कभी कभी मुझसे होता नहीं हु बहू जो मन मे रह जाते उन शब्दों का अनुवाद...
बस ख्यालों की धारा बहती रहती है, ओर मन सुनता रहता है वो नाद...!

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1 MAY 2020 AT 4:03

याद रखिए कि ब्रहमांड की ऊर्जा हमारी सोच से कहीं ज्यादा बड़ी है. ईश्वर ने हमारे लिए कुछ बेहतर ही सोच रखा होगा. जीवन में सकारात्मकता बनाए रखें. यही एक मजबूत इंसान की निशानी है.

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29 APR 2020 AT 7:57

जैसे एक कुम्हार घड़ा बनाते समय थपथपा कर घड़े के सारे विकार मिटा देता हैं इसी प्रकार ईश्वर भी हमे सुन्दर ओर मजबूत इंसान बनाने के लिए समय समय पर हमारी परीक्षा लेकर हमारे सारे विकार मिटा देता हैं।

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29 APR 2020 AT 2:27

कोरोना महामारी की इस लडाई में होंसला और घोंसला न छोड़िए,सब ठीक हो जाएगा🙏

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25 APR 2020 AT 15:13

घड़ी की सुइयां चाहें हो किसी भी जगह पर.....
बच्चों की एक फरमाईश
थकी पसीने से नहाई
कभी उफ नही करती वो......

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